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आजादी के 73 वर्षों बाद भी लोगों को नहीं मिला सामाजिक न्यायः प्रो. डीएनएन सिंह यादव

यूपी के बाराबंकी में आयोजित सामाजिक न्याय सम्मेलन में आए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. डीएनएन सिंह यादव ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद भी समाज में बराबरी नहीं हो सकी. प्रो. ने कहा कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में जिस बराबरी की बात कही गई है वह आज की परिस्थिति से कोसों दूर है.

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Published : Dec 26, 2019, 2:45 PM IST

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प्रो. डीएनएन सिंह यादव

बराबंकीः शहर में स्थित श्रीराम वाटिका में बुधवार को सामाजिक चेतना फाउंडेशन द्वारा सामाजिक न्याय सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे लखनऊ विश्वविद्यालय के लीगल सेल के डायरेक्टर प्रो. डीएनएन सिंह यादव ने ईटीवी भारत के संवाददाता से खास बातचीत की. प्रो. डीएनएन ने बताय कि हमारे संविधान में जिस सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने की बात कही गई है, वह आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी सुनिश्चित हो सकी है.

सामाजिक बराबरी है कोसों दूरः प्रो. डीएनएन सिंह यादव

सामाजिक बराबरी है कोसों दूर
प्रो. डीएनएन सिंह ने कहा कि आज भी समाज में गैर बराबरी कायम है. समाज मे ऊंच-नीच, छुआ-छूत और गैर बराबरी बरकरार है. अमीर जहां बेहद अमीर हैं, वहीं गरीब बेहद गरीब बना हुआ है. समाज में अभी भी ऊंच- नीच, जाति-धर्म का भेदभाव है. उन्होंने कहा कि आजादी के 73 वर्ष बाद भी क्या हम सामाजिक बराबरी ला पाए हैं? इस पर सरकारों को मंथन करने की जरूरत है.

गांव के रोजगार हो रहे खत्म
प्रो. ने कहा कि सामाजिक न्याय पूरी तरह से पराजित हुआ है. वर्तमान सरकार पर चोट करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं को नौकरी नहीं दे पा रही है, जिसके चलते वे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होते जा रहे हैं. गांव के रोजगार खत्म हो गए हैं, लिहाजा लोग शहरों की ओर भाग रहे हैं, लेकिन शहरों में भी रोजगार नहीं है. उन्होंने सीधे तौर पर इसके लिए सरकारों पर दोष मढ़ा.

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कानून लागू करने वालों की नीयत होनी चाहिए ईमानदार
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने आर्थिक नीति में परिवर्तन कर दिया, सरकार ने मल्टीनेशनल कम्पनियों को दावत देकर बुला लिया, लिहाजा छोटे-छोटे उद्योग धंधे बंद हो गए. उन्होंने कहा कि कानूनी अनुपालन में हमारी सरकारें फेल हो रही हैं. इस नाकामी की वजह भ्रष्टाचार है. कानून लागू करने वालों के अंदर जब तक ईमानदार नीयत नहीं होगी तब तक लोगों को सामाजिक न्याय नहीं मिल पाएगा.

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