बाराबंकी: हरख ब्लॉक क्षेत्र के दौलतपुर गांव के रहने वाले रामसरन वर्मा जहां दूसरे किसानों के लिए रोल मॉडल हैं तो वहीं उनके फार्म हाउस को खेती की प्रयोगशाला कहा जाता है. खेती की नई-नई तकनीकों से मिसाल बने राम सरन वर्मा पद्मश्री समेत दर्जनों सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते पद्मश्री रामसरन वर्मा. जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर बसे दौलतपुर गांव को आज कृषि जगत के लिए एक अजूबा माना जाता है. यहां पद्मश्री समेत दर्जनों सम्मानों से नवाजे जा चुके किसान रामसरन वर्मा हाईटेक एग्रीकल्चर एवं कंल्सटेशन के माध्यम से पहले खुद खेतों में पौधों से सीखते हैं, उसके बाद किसानों को खेती से संबंधित नए-नए गुर सीखाते हैं.
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किसानों को अपने जैसा बनाना चाहते हैं रामसरन
पद्मश्री रामसरन वर्मा का अनुसरण करने वाले हजारों किसान आज रामसरन मॅाडल पर खेती करते हैं. महज कक्षा आठ पास रामसरन वर्मा आधुनिक खेती करके फर्श से अर्श पर पहुंच गए. वहीं रामसरन वर्मा जिले के किसानों को भी अपने जैसा बनाना चाहते हैं, तभी वह किसानों को खेती करने के तरह-तरह के गुण बताते हैं.
खेती के गुर सीखने दूर-दूर से आते हैं किसान
खेती के जरिए आज अत्याधुनिक सुख-सुविधाएं हासिल कर रहे रामसरन वर्मा उन किसानों के लिए भी मिसाल हैं, जो कम पढ़े-लिखे हैं. कक्षा 10 फेल रामसरन ने 1986 से जो खेती के अत्याधुनिक तरीके अपना कर खेती की शुरुआत की तो आज तक बढ़ते ही रहे. न केवल सूबे बल्कि देश के कई हिस्सों से किसान आकर इनसे खेती के गुर सीखते हैं.
किसानों पर ध्यान दे सरकार
रामसरन वर्मा ने केला, आलू और टमाटर की तो कई प्रजातियां तक बना डाली हैं. उनका कहना है कि खेती कुछ मामलों में घाटे का सौदा है तो कुछ मामलों में मुनाफे का. रामसरन कहते हैं कि अगर फसल चक्र अपना कर नकदी खेती की जाय तो ये मुनाफे का सौदा होता है. किसानों के चेहरों पर खुशहाली रहे इसके लिए रामसरन की सरकार से मांग है कि किसानों को समय से खाद, पानी और जो फसल किसान पैदा कर रहा है, उसका सही दाम मिलना चाहिए.