बाराबंकी:गोष्ठियों और सेमिनारों में महिला उत्थान और सशक्तिकरण की बड़ी बड़ी बातें की जाती है, लेकिन जब उनको चुनाव लड़ाने के लिए टिकट देने की बात आती है तो लोग पीछे हो जाते हैं. जिले की लोकसभा सीट का कुछ ऐसा ही हाल है. पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव को अपवाद मानकर छोड़ दिया जाय तो आजादी के बाद से आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने महिलाओं को उम्मीदवार बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.
राजधानी लखनऊ से सटा बाराबंकी हमेशा से ही राजनीतिक चर्चाओं में रहा है. यहां के एक से एक दिग्गज राजनीतिज्ञों रफी अहमद किदवाई, राम सेवक यादव, बेनी प्रसाद वर्मा, मोहसिना किदवाई सभी ने जिले को खासी पहचान दिलाई है. जिले में राजनीतिक सक्रियता होने के बावजूद हैरानी की बात ये है कि किसी भी राजनीतिक दल ने महिलाओं को लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाया. महिला उत्थान की बाते करने वाले लोगों ने कभी भी यहां से आधी आबादी वाली महिलाओं को लोकसभा चुनाव में टिकट नहींदिया.