बाराबंकी:जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में लगातार एक के बाद एक फर्जी शिक्षकों के खुलासे हो रहे हैं. बुधवार को एक बार फिर एक फर्जी शिक्षिका का खुलासा हुआ है. पिछले 6 महीने में 15 से ज्यादा फर्जी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए हैं. अभी भी तमाम फर्जी शिक्षक एसटीएफ के रडार पर हैं.
बताते चलें कि जुलाई 2009 को विशिष्ट बीटीसी के तहत संतकबीर नगर जिले के खलीलाबाद की रहने वाली अर्चना पांडे की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापक के रूप में हुई थी. इनकी तैनाती बस्ती जिले में हुई थी. अर्चना पांडे ने तीन जुलाई 2009 को कार्यभार ग्रहण कर लिया था.
स्थानांतरण कराकर बाराबंकी में किया ज्वाइन
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के बाद उसकी नियुक्ति सितम्बर 2012 में बाराबंकी के विकास खण्ड सिद्धौर के प्राथमिक विद्यालय न्योछना में हुई. उसके बाद उसे बंकी ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय गदिया में पदस्थापित किया गया.
शिकायत पर हुई जांच
किसी दूसरे के शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर नौकरी की शिकायत पर जांच शुरू हुई तो वो नदारद हो गई. यही नहीं उसके मूल पते का सत्यापन भी नहीं हो सका. लिहाजा विभाग ने पहली जुलाई से अनुपस्थित चल रही अर्चना का वेतन रोक दिया.
एसटीएफ ने किया खुलासा
फर्जी शिक्षकों की धरपकड़ में लगी एसटीएफ ने जब लखनऊ के गोमतीनगर थाने में 22 सितम्बर 2020 को दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रमोद सिंह उर्फ यदुनंदन यादव को गिरफ्तार किया, तो उसने जो खुलासा किया उससे एसटीएफ हैरान रह गई. प्रमोद सिंह उर्फ यदुनंदन यादव ने बताया कि उसकी पत्नी प्रीलता जो वर्तमान में उच्च प्राथमिक विद्यालय गदिया में अर्चना पांडे के नाम से नौकरी कर रही है.
की गई सेवा समाप्त
बार-बार नोटिस दिए जाने पर अर्चना पांडे ने अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया. लिहाजा विभाग ने उसकी सेवाएं समाप्त कर दी. साथ ही रिकवरी के भी आदेश दिए हैं.
बीएसए वीपी सिंह ने बताया कि अर्चना पांडे पुत्री राम बिहारी पांडे को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर प्रदान किये जाने के बाद भी कोई अपना पक्ष रखने नहीं आया. लिहाजा प्रीलता ने अर्चना पांडे बनकर उनके शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर फर्जी कूटरचित ढंग से सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति प्राप्त कर अनुचित धोखाधड़ी कर शासकीय धन प्राप्त किया गया.