बाराबंकीः जिले के राजकीय किशोरी सम्प्रेक्षण गृह में पिछले कई सालों से नौकरी कर रही नर्स के पास न तो कोई डिग्री है और न ही डिप्लोमा कोर्स. इसके बावजूद वो नौकरी कर रही है. हैरानी की बात तो ये है कि नर्स दवाइयों के नाम तक नहीं पढ़ पाती. जबकि सम्प्रेषण गृह में रह रही किशोरियों के बीमार हो जाने पर यही नर्स उन्हें दवाइयां देती हैं. ये खुलासा शुक्रवार को उस वक्त हुआ जब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सम्प्रेक्षण गृह के निरीक्षण को पहुंची थीं. उन्होंने इस पूरे मामले की रिपोर्ट आयोग के अध्यक्ष और सीएम के सामने रखने की बात कही है.
सरकार की चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पात्रों को मिल रहा है या नहीं इसकी सच्चाई जाने के लिए राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉक्टर शुचिता चतुर्वेदी बाराबंकी पहुंची थीं. उन्होंने सबसे पहले महिला अस्पताल के पीकू वार्ड को देखा, जहां कोविड की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए 40 बेड्स का विशेष वार्ड तैयार किया गया है. यहां अभी तमाम काम अधूरे हैं. जिन्हे जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.
इसके बाद डॉक्टर शुचिता चतुर्वेदी 'वन स्टाप सेंटर' पहुंची. यहां की रिपोर्टिंग चौकी देखकर वो हैरान हो गईं. दरअसल यहां चार महिला आरक्षियों की ड्यूटी है. लेकिन महज एक ही मौजूद मिली. इस पर उन्होंने फोन से गैर हाजिरी की जानकारी ली. उन्हें बताया गया है कि उनमें से तीन गर्भवती हैं और इन चारों की सेटिंग है. कोई एक आरक्षी आ जाती है, बाकी तीन की हाजिरी बन जाती है. उन्होंने इसे बड़ी लापरवाही माना है. आयोग की सदस्य ने बताया कि जब भी किसी बच्चे का रेस्क्यू करने जाना होता है तो इन आरक्षियों को ही जाना होता है. लेकिन गर्भवती होने की हालत में ये कैसे जा सकती हैं. लिहाजा वन स्टाप सेंटर बनाये जाने की सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि ये सारी रिपोर्ट आयोग के अध्यक्ष के सामने रखेंगी.