बाराबंकी: परिवहन विभाग ने मुख्तार अंसारी की बहुचर्चित एंबुलेंस का पंजीयन निरस्त कर दिया है. इतना ही नही एंबुलेंस बेचने वाले आटो डीलर का कमर्शियल सर्टिफिकेट भी निरस्त कर दिया गया है. अब ये कभी भी वैध रूप से सड़क पर फर्राटा नहीं भर सकेगी. फर्जी वोटर आईडी के जरिए रजिस्टर्ड कराई गई इस एंबुलेंस मामले में पुलिस ने 06 अन्य आरोपियों के नाम चिन्हित कर लिए हैं. जल्द ही इनकी गिरफ्तारी हो सकती है. अब इस मामले में आरोपियों की संख्या 13 हो गई है, जिसमें मुख्तार समेत 07 आरोपी जेल में हैं.
एंबुलेंस कैसे आई चर्चा में
बताते चलें कि 31 मार्च को ये एंबुलेंस उस वक्त चर्चा में आई थी, जब पंजाब के रोपण जेल से मोहाली कोर्ट जाने में इसका प्रयोग मुख्तार अंसारी द्वारा किया गया था. इस एंबुलेंस पर बाराबंकी जिले का नम्बर था. इसके बाद बाराबंकी परिवहन विभाग में हड़कम्प मच गया था. छानबीन शुरू हुई तो पता चला कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे वर्ष 2013 में एंबुलेंस बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी. बाराबंकी जिले के UP41 AT 7171 नम्बर वाली एंबुलेंस ने हड़कम्प मचा दिया था. बाराबंकी संभागीय परिवहन विभाग में जब इस एंबुलेंस की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि इसका रिनिवल ही नहीं कराया गया था. कागजात खंगाले गए तो ये डॉ. अलका राय की फर्जी वोटर आईडी से पंजीकृत पाई गई. इस मामले में डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव ,मुजाहिद समेत कई के खिलाफ नगर कोतवाली में 02 अप्रैल को मुकदमा लिखाया गया था. बाद में छानबीन में मुख्तार की संलिप्तता पाए जाने पर मुकदमे में धाराएं बढ़ाते हुए उनका नाम भी बढ़ाया गया था.
एंबुलेंस का पंजीयन किया गया निरस्त
पुलिस ने ये एंबुलेंस 05 अप्रैल को लावारिस हालत में पंजाब से बरामद कर ली थी. उसके बाद अगले ही दिन इसे बाराबंकी लाया गया था. जबसे ये एंबुलेंस माल मुकदमा के तौर पर कोतवाली के मालखाने में खड़ी है. एआरटीओ प्रशासन पंकज सिंह ने बताया कि अब इस एंबुलेंस का पंजीयन निरस्त कर दिया गया है.