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बाराबंकी: रुदौली तहसील जिले में जोड़ने की मांग, वकीलों का प्रदर्शन

बाराबंकी जिले में वकीलों ने प्रदर्शन किया. वकील पिछले 13 वर्षों से रुदौली तहसील को जिले में जोड़े जाने की मांग कर रहे हैं और इसे लेकर मंगलवार को भी उन्होंने ने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में संघर्ष समिति के अध्यक्ष समेत जिला बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी व अधिवक्ता शामिल हुए.

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अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन

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Published : Jul 7, 2020, 4:04 PM IST

बाराबंकी: जिले में पिछले 13 वर्षों से रुदौली तहसील को जिले में जोड़े जाने की मांग को लेकर मंगलवार को अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया. अधिवक्ताओं का कहना है कि लगातार की जा रही मांग पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. सरकारअगर मांग पूरी नहीं करनी है तो वो बता दे ताकि इसके लिए वे लोग बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार करें.

दरअसल कभी जनपद का हिस्सा रही रुदौली तहसील राजनीतिक उठापटक के चलते फैजाबाद (अब अयोध्या) में शामिल कर दी गई. तब से जिले के अधिवक्ता और रुदौली तहसील वापसी संघर्ष समिति इसे लेकर आंदोलन कर रहे हैं. हर महीने की 7 तारीख को अधिवक्ता प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन देते हैं. इस प्रदर्शन में संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट मो. एखलाक समेत जिला बार के सभी पदाधिकारी व अधिवक्ता शामिल हुए. आंदोलनकारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर एडीएम के जरिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा.

कब क्या हुआ
वर्ष 1997 में बसपा सरकार में मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने जिले की रुदौली तहसील को फैजाबाद में शामिल कर दिया था. तहसील क्षेत्र की जनता और अधिवक्ताओं ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू किया. एक लंबे आंदोलन के बाद तत्कालीन मुलायम सरकार ने जनहित को देखते हुए 24 जनवरी 2004 को फिर से इसे मूल जनपद में शामिल कर दिया गया. जनता ने फैसले को सराहा लेकिन एक बार फिर वर्ष 2007 में बनी मायावती सरकार ने मुलायम सिंह यादव सरकार के निर्णय को बदलते हुए रुदौली तहसील को फिर से फैजाबाद में शामिल कर दिया. उसके बाद से रुदौली वापसी को लेकर यह आंदोलन चला आ रहा है.

क्या कहना है रुदौली संघर्ष समिति का
रुदौली संघर्ष समिति के अधिवक्ताओं का कहना है कि राजनीतिक कारणों से रुदौली को शिकार बनाया गया है. हालांकि मुलायम सरकार ने इसे फिर से जिले में शामिल कर दिया था लेकिन मायावती जब दोबारा सरकार में आईं तो उन्होंने इसे फिर फैजाबाद में शामिल कर दिया. अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार पूरी तहसील क्षेत्र का सर्वे करा लें. यहां के लोगों की राय ले ले. अगर क्षेत्र की 80 से 85 फीसदी जनता जिले में शामिल नहीं होना चाहती तो शासन कुछ न करे लेकिन अगर जनता की राय हो तो जिले में रुदौली शामिल किया जाय.

अधिवक्ताओं का कहना है कि रेवेन्यू बोर्ड की हाई पावर कमेटी में मामला कई वर्षों से लंबित है लेकिन कुछ नहीं हो रहा. अधिवक्ताओं ने दो टूक लहजे में कहा कि सरकार ये बताए कि वो रुदौली को जिले में शामिल करेगी या नहीं उसी आधार पर संघर्ष समिति अपनी आगे की रणनीति बनाए.

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