बाराबंकी: जिला मुख्यालय से उत्तर-पश्चिम में लखनऊ और सीतापुर जिलों की सीमा से सटी बाराबंकी जिले की कुर्सी विधानसभा वर्ष 2009 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. इससे पहले ये फतेहपुर सुरक्षित विधानसभा का हिस्सा हुआ करती थी.फतेहपुर विधानसभा में फतेहपुर कस्बा, नगर पंचायत और तहसील है, जबकि कुर्सी महज एक गांव है जिसके नाम पर इस विधानसभा का नाम पड़ा. इस सीट के साथ एक संयोग ये भी जुड़ा है कि जबसे ये सीट अस्तित्व में आई है तभी से जिस पार्टी का प्रत्याशी यहां से जीता है प्रदेश की सत्ता भी उसी पार्टी ने संभाली है.
औद्योगिक क्षेत्र के साथ उन्नत खेती के लिए मशहूर
कुर्सी विधानसभा औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ उन्नत खेती के रूप में भी जानी जाती है. यहां 508 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र है.जिसमें दर्जनों छोटे-बड़े उद्योग हैं. आलू ,पिपरमेंट और धान की खेती इस विधानसभा में बहुतायत से होती है.विधानसभा सीट बनने से पहले ही कुर्सी कस्बा खासा चर्चित था. शारदा सहायक नहर के अलावा यहां कल्याणी नदी भी बहती है. इस इलाके में मझगवां शरीफ में स्थित हजरत शेख सारंग और फतेहपुर कस्बे में स्थित मजार समेत कई बुजुर्गों की मजारे हैं तो कई नामवर मंदिर भी हैं. इस विधानसभा में फतेहपुर और बेलहरा दो नगर पंचायतें आती हैं.
बाराबंकी का कुल क्षेत्रफल 3891.5 वर्ग.किमी. है. इसकी सीमा पूर्व में जिला फैजाबाद, पूर्वोत्तर में जिला गोंडा और जिला बहराइच, उत्तर पश्चिम में जिला सीतापुर, पश्चिम में जिला लखनऊ, दक्षिण में जिला रायबरेली और दक्षिण पूर्व में जिला अमेठी से छूती है. इस जिले में कुल गांव 1845 हैं और 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जबकि 1 लोकसभा क्षेत्र इस जिले में आता है. बाराबंकी की कुल जनसंख्या 32,60,699 है, जिनमें से 17,07,073 पुरुष हैं और 15,53,626 महिलाएं हैं. कुर्सी इस जिले की मुख्य विधानसभा सीट है. 2008 से, इस विधानसभा क्षेत्र की संख्या 403 निर्वाचन क्षेत्रों में से 266 है. विधानसभा में कुल 3.73,090 मतदाता हैं जिसमे 2,01,554 पुरुष , 1,71,533 महिला और 3 अन्य मतदाता हैं. इस सीट के साथ एक संयोग ये भी जुड़ा है कि जबसे ये सीट अस्तित्व में आई है तभी से जिस पार्टी का प्रत्याशी यहां से जीता है प्रदेश की सत्ता भी उसी पार्टी ने संभाली है. यही वजह है कि हर दल इस सीट को हथियाने की फिराक में है.
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शुरू हुआ गुणा-गणित
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के लिए सियासी बिसात बिछ चुकी है. सूबे में अलग-अलग जातियों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) हर संभव कोशिश में जुटी हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां जीत के समीकरण और चुनावी रणनीति तैयार कर रही हैं. सभी की निगाहें जातीय वोट बैंक पर टिकी हैं. सपा और बीजेपी अति पिछड़ी जातियों में शामिल अलग-अलग जातियों को साधने के लिए उसी समाज के नेता को मोर्चे पर भी लगा दिया है. वहीं, चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले नेता मतदाताओं के बीच अभी से उन्हें रिझाने में लगे हुए हैं. इस बार भी इस सीट पर सपा से फरीद महफूज किदवई की दावेदारी काफी मजबूत है. हालांकि इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं. और वे टिकट पाने की कोशिशों में लगे हैं वहीं भाजपा फिर से कुर्मी चेहरे साकेन्द्र वर्मा को अपना उम्मीदवार बना सकती है.
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