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जन औषधि केंद्रों को खुद 'औषधि' की दरकार

उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जोश-खरोश से जन औषधि केंद्र खोले गए थे, पर बाराबंकी जिले में जन औषधि केंद्र खस्ताहाल हैं. न तो यहां औषधियां हैं, न ग्राहक. इन केंद्रों को खुद इलाज की जरूरत है.

जन औषधि केंद्र
जन औषधि केंद्र

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Published : Nov 18, 2020, 1:45 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 3:17 PM IST

बाराबंकीः गरीबों को सस्ते दामों पर दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न स्थानों पर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए थे, पर बाराबंकी जिले में इनकी स्थिति खस्ताहाल हो गई है. न तो यहां की दवाई डॉक्टर लिखते हैं, न ही सारी दवाई उपलब्ध हो पाती हैं. मरीज अन्य स्थानों से दवा खरीदने को मजबूर हैं.

जन औषधि केंद्र

ब्रांड प्रेम है बड़ी समस्या

सरकारी डॉक्टरों का ब्रांडेड दवाइयों की तरफ झुकाव जन औषधि केंद्रों के नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. कई मरीजों का दावा है कि डॉक्टर सिर्फ ब्रांडेड दवाई लिखते हैं, जो जन औषधि केंद्र पर नहीं मिलती. जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाई डॉक्टर लिखते नहीं.

दवाएं हो जाती हैं एक्सपायर

जन औषधि केंद्रों पर बिक्री न होने के कारण कई दवाएं रखे-रखे एक्सपायर हो जाती हैं. ऐसे में केंद्र संचालक इन दवाइयों को मंगाना बंद कर देते हैं.

ड्रग हाउस में नहीं दवाई

एक बड़ी वजह यह भी है कि मांग वाली दवाइयों के ऑर्डर दिए जाने पर संचालकों को सेंट्रल ड्रग हाउस से वे दवाइयां मिल नहीं पातीं या फिर आने में देरी होती है.

अधिकारी भी चिंतित

औषधि विभाग से जुड़े अधिकारी भी इस बड़ी समस्या से चिंतित हैं. उनका कहना है कि लोगों को जन औषधि केंद्रों से दवाइयां खरीदने को प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन ज्यादातर दवाइयां इन केंद्रों पर उपलब्ध ही नहीं रहतीं.

6 केंद्र खोले जाने थे, खुले सिर्फ 2

जिले में महिला अस्पताल के साथ-साथ 6 सामुदायिक केंद्रों पर जन औषधि सेंटर खोले जाने की योजना थी, लेकिन जिला महिला अस्पताल, सीएचसी हैदरगढ़ और हिन्द मेडिकल कॉलेज को छोड़कर एक भी केंद्र नहीं खुल सका. इसके लिए निर्धारित मानकों को पूरा न कर पाने के चलते किसी भी एजेंसी ने सेंटर खोलने में रुचि नहीं दिखाई.

रिन्यूअल भी नहीं करा रहे संचालक

बमुश्किल जो दो केंद्र चल रहे हैं, उनके भी संचालकों ने इस बार रिन्यूअल नहीं कराया है. महिला अस्पताल और हैदरगढ़ स्थित केंद्रों के संचालकों का कहना है कि बिक्री का बुरा हाल है. इन केंद्रों का संचालन गुंजन इंटरप्राइजेज नामक संस्था करती है. हालांकि इन्हें 15 दिन का समय दिया गया है.

योजना का मकसद

जुलाई 2015 में पीएम मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी. प्रधानमंत्री जन औषधि अभियान की शुरुआत का मकसद जनता को कम मूल्य की दवाई उपलब्ध कराना और जागरूक करना था. योजना की मंशा थी कि इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को काफी लाभ होगा और उन्हें ये दवाइयां सस्ते दामों पर मिलेंगी.

800 प्रकार की दवाइयां

जन औषधि केंद्रों को इसकी शर्तों का पालन करते हुए कोई भी खोल सकता है. इसमें शर्त थी कि 800 प्रकार की दवाइयां सेंटर पर उपलब्ध रहेंगी.

Last Updated : Nov 18, 2020, 3:17 PM IST

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