बाराबंकी:नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर आम जनमानस में फैली गलत फहमी को दूर करना प्रशासन के लिए खासी चुनौती है. जिला प्रशासन CAA के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा है. वहीं सूचना और जन सम्पर्क विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए अनोखा तरीका निकाली है. जिले का सूचना विभाग हिंदी और उर्दू भाषाओं में पम्पलेट अखबारों के जरिये घर-घर भेज रहा है.
बाराबंकी: CAA से जुड़ी गलतफहमियों को अब दूर करेगा सूचना विभाग - सूचना विभाग ने संभाली कमान
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रति लोगों में फैली गलत फहमियों को दूर करने के लिए जिले के सूचना विभाग ने कमान संभाल ली है. सूचना निदेशालय के निर्देश पर जिले के सूचना विभाग ने लोगों को घर-घर जागरूक करने की ठानी है. इसके लिए विभाग ने 20 हजार पर्चे छपवाएं हैं. उर्दू और हिंदी में छपे इन पर्चों में CAA से जुड़े 7 बिंदु लिखे गए हैं.
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नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रति लोगों में फैली गलत फहमियों को दूर करने के लिए अब जिले के सूचना विभाग ने कमान संभाल ली है. विभाग पर्चों को विभिन्न अखबारों में रखकर घर-घर पहुंचा रहा है. इसके अलावा सभी थानों, अल्पसंख्यक विभाग और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में पर्चे भेजे गए हैं. यहां आने वाले लोगों को ये पर्चे बांटे जा रहे हैं. यही नहीं विभाग में कार्यरत कलाकार और एलईडी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी ये पर्चे दिए गए, जिनका अब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण किया जा रहा है.
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क्या छपा है पर्चे में
- यह कानून सिर्फ नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने का अधिकार इस कानून में नहीं है.
- भारत के अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों का CAA से कोई अहित नहीं है.
- CAA से देश के नागरिकों की नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
- यह कानून किसी भी भारतीय हिंदू ,मुसलमान, आदि को प्रभावित नहीं करेग.
- इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
- इन देशों से जो उत्पीड़ित लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए उन्हे नागरिता दी जाएगी.
- अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था.
- यह कानून केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न का सामना किया और उनके पास भारत आने के अलावा और कोई जगह नहीं है.