बाराबंकी: जिले में प्रशासन की सख्ती के बाद अपात्रों द्वारा हासिल की गई किसान सम्मान निधि की वापसी की कार्रवाई से फर्जीवाड़े का खुलासा होने लगा है. गलत ढंग से हुई डेटा फीडिंग के चलते हजारों अपात्रों ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हासिल की. इस मामले में जनसेवा केंद्रों की भूमिका भी संदिग्ध है. माना जा रहा है कि जनसेवा केंद्र संचालकों ने अपात्रों की फर्जी फीडिंग कर उनको पात्र बना दिया. बदले में जनसेवा केंद्र संचालकों ने धन उगाही भी की. फिलहाल धोखाधड़ी का खुलासा होने पर केंद्र संचालक और उसके सहयोगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.
बाराबंकी: अपात्रों ने हासिल की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि - प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
यूपी के बाराबंकी में किसान सम्मान निधि मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है. डेटा फीडिंग में गड़बड़ी के चलते तमाम अपात्रों ने सम्मान निधि हासिल कर ली. जनसेवा केंद्र संचालकों द्वारा भी इस मामले में भारी धोखाधड़ी की गई.
किसान सम्मान निधि मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है. डेटा फीडिंग में गड़बड़ी के चलते तमाम अपात्रों ने सम्मान निधि हासिल कर ली. जनसेवा केंद्र संचालकों द्वारा भी इस मामले में भारी धोखाधड़ी की गई. लोगों से फ्रॉड कर उनसे अवैध वसूली कर उनको सम्मान निधि का पात्र बना दिया गया. अपात्र लोगों से जब प्रशासन ने वसूली शुरू की तो धोखाधड़ी के मामले खुलने लगे. ऐसा ही एक मामला कोतवाली फतेहपुर के कस्बे में स्थित कृष्णा जन सेवा केंद्र का सामने आया है. मामले का खुलासा तब हुआ जब शिकायतकर्ता संगीता देवी और मोहित कुमार ने एक शिकायती पत्र उप निदेशक कृषि अनिल सागर को सौंपा.
शिकायतकर्ताओं का कहना था कि कृष्णा जन सेवा केंद्र चलाने वाले अंकित वर्मा ने उनसे जालसाजी करते हुए बेरोजगारी भत्ता दिलाने के नाम पर अवैध धन वसूली की और किसान सम्मान निधि का पात्र बना दिया. गम्भीरता को देखते हुए उप निदेशक कृषि ने फतेहपुर स्थित राजकीय कृषि बीज भंडार के प्रभारी अवनीश वर्मा को मामले की जांच सौंपी. अवनीश वर्मा ने जांच में पाया कि अंकित वर्मा और उसके सहयोगी लक्ष्मी नारायण शुक्ला ने मिलकर जालसाजी करते हुए फर्जी तरीके से अपात्रों की फीडिंग प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए की और उन्हें पात्र बना दिया.