बाराबंकीः भिटरिया दरियाबाद मार्ग किनारे ताशी पुर गांव में स्थित कल्याणी नदी के तट पर बुढ़वा बाबा महादेव का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर पर हर दिन श्रद्धालु आते हैं. सावन माह में जलाभिषेक का विशेष महत्व है. कल्याणी नदी में स्नान कर के गीले वस्त्रों में जलाभिषेक करते हैं.
बाराबंकीः सावन के महीने में बुढ़वा बाबा महादेव मंदिर की बढ़ जाती है महिमा - बम बम भोले
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित बुढ़वा बाबा महादेव के प्रति भक्तों की अटूट आस्था है. भक्तों की समस्याओं का निराकरण भोलेनाथ करते हैं. इसके एक नहीं तमाम किस्से हैं. जिन्हें सुनकर लोगों में बाबा के प्रति लोगों में अटूट विश्वास पैदा होता है.
बुढ़वा बाबा मंदिर का इतिहास.
मंदिर का है इतिहास पुरानाः
- बुढ़वा बाबा महादेव मंदिर सावन में सुबह 4:00 बजे से ही कपाट खुल जाता है.
- भगवान सत्यनारायण की कथा भी मंदिर परिसर में सुनते हैं और भंडारा भी आयोजित करते हैं.
- बताया जाता है कि करीब डेढ़ सौ साल पुराना है मंदिर का इतिहास.
- शिव कैलाश द्विवेदी के पूर्वज जो शिव भक्त थे, उन्होंने स्वप्न में देखा था कि कल्याणी नदी के तट पर शिवलिंग है.
- खेत की खुदाई के दौरान मिले शिवलिंग के ऊपर का सिर कटा हुआ है.
- अंग्रेजों ने शिवलिंग तोड़ने की कोशिश की थी पर सफल नहीं हो सके.