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विवाहिता को जलाकर मार डालने में पति सास और ससुर दोषी, तीनों को उम्रकैद की सजा

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 30, 2023, 10:20 PM IST

बाराबंकी में विवाहिता की जलाकर हत्या करने के मामले में कोर्ट ने पति, सास और ससुर तीनों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा (sentenced to life imprisonment) सुनाई है.

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विवाहिता की जलाकर हत्या

बाराबंकी: शादी के 8 माह बाद ही एक विवाहिता की दहेज के लिए हत्या कर देने के मामले में पति सहित तीन आरोपियों को अदालत ने दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला शनिवार को विशेष न्यायाधीश ईसी ऐक्ट उमेश चन्द्र पाण्डेय द्वितीय ने सुनाया.

अभियोजक अधिकारी रामजस सिंह ने अभियोजन कथानक का ब्योरा देते हुए बताया कि सतरिख थाना क्षेत्र के लोधपुरवा मजरे दाऊदपुर निवासी विजय कुमार ने 04 जनवरी 2019 को फतेहपुर थाने में लिखित तहरीर देकर बताया कि उसने अपनी बेटी गुड़िया राजपूत का विवाह 29 अप्रैल 2018 को काफी धूमधाम से अपनी सामर्थ्य के अनुसार मोटरसाइकिल और अन्य कीमती सामान करीब 5 लाख रुपये देकर जिले के ही कोतवाली और कस्बा फतेहपुर के जोशीटोला मुहल्ले के रहने वाले राजेश कुमार लोधी उर्फ राजू पुत्र कृष्ण चन्द्र लोधी के साथ किया था.

वादी के मुताबिक ससुराल में बेटी के पति राजेश,ससुर कृष्ण चन्द्र और सास रामा देवी इस दहेज से संतुष्ट नही थे. 3/4 जनवरी 2019 की रात करीब 10 बजे वादी को उसकी बेटी को जला देने की सूचना उसके रिश्तेदार पप्पू से मिली. पप्पू ने बताया कि तुम्हारी लड़की गुड़िया को ससुराल वालों ने जला दिया है. हम लोग उसे लेकर बाराबंकी अस्पताल आ रहे हैं. इस सूचना के बाद वादी और लोग जिला अस्पताल पहुंचे. हालत गम्भीर होने पर डॉक्टरों ने उसे लखनऊ रेफर कर दिया. जहां इलाज के दौरान मेरी बेटी की मौत हो गई. वादी के मुताबिक बेटी के ससुराल वाले दहेज में कार की मांग कर रहे थे. शव के पंचनामे के बाद ससुराल वाले भाग गए.

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वादी की तहरीर पर फतेहपुर थाने में पति राजेश,ससुर कृष्ण चन्द्र और सास रामा देवी के विरुद्ध धारा 498ए/304बी आईपीसी और 3/4दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की गई है. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग कर साक्ष्य संकलित कर चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किए गए है.

इस मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302/34 के तहत वैकल्पिक चार्ज फ्रेम कर मामले का विचारण किया. अभियोजन ने इस मामले में ठोस गवाह प्रस्तुत किये. अभियोजन और बचाव पक्षो द्वारा पेश किए गए साक्षियों के साक्ष्य और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा की गई बहस सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ईसी ऐक्ट उमेश चंद्र पाण्डेय द्वितीय ने तीनों आरोपियों को दोषसिद्ध करार दिया. कोर्ट ने तीनों दोषियों को आजीवन कारावास और प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

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