बाराबंकी: सतरिख के सेठमऊ गांव निवासी होमगार्ड विजयसेन ने स्ट्रीट लाइट के पोल से रस्सी के सहारे लटककर जान देने की कोशिश की. जानकारी मिलते ही पुलिस ने होमगार्ड को नीचे उतारकर सीएचसी हैदरगढ़ पहुंचाया. होमगार्ड ने छह माह से मानदेय न मिलने की बात कही. उन्होंने बताया कि उनका परिवार आर्थिक तंगी से परेशान है.
होमगार्ड विजयसेन का कहना है कि उन्हें जून से मानदेय नहीं मिला है. परिवार के भूखे रहने की नौबत आ गई है. फीस जमा न होने की वजह से बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. जो जानवर पले हैं वो भी भूखे मर रहे हैं. इन सब परेशानियों से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की.
आर्थिक तंगी से जूझ रहा होमगार्ड का परिवार. ये भी पढ़ें: बाराबंकी: आक्रोशित किसानों ने धान लदी ट्रैक्टर-ट्रालियों का लगाया जमावड़ा, जानिए वजह
होमगार्ड ने बताईं परेशानियां
होमगार्ड विजय सेन के मुताबिक उनकी ड्यूटी कानून व्यवस्था में जून माह से चल रही है. उनको दूर-दूर के थानों पर ड्यूटी के लिए पेट्रोल फूंककर जाना होता है. उनको जून माह से मानदेय नहीं मिला है. वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. मानदेय न मिलने से परिवार में भूखे रहने की नौबत है. बच्चों की स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही. उन्हें पढ़ने नहीं दिया जा रहा है. घर की हालत भी काफी खराब हो चुकी है. घर में जो जानवर पले हैं वह भी भूखे मर रहे हैं. इन सब परेशानियों से सब तंग आ चुके हैं. इसके चलते उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की.
होमगार्ड विजय सेन की पत्नी और बेटे ने भी बताया कि मानदेय न मिलने के चलते घर की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है. बेटे के मुताबिक उसके स्कूल की फीस नहीं जमा हो पा रही है, जिसके चलते उसे वहां से भगा दिया जाता है.
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सहायक कमांडेंट होमगार्ड राम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि होमगार्डों का जो मानदेय बाकी है उसके लिए लगातार पत्रचार के माध्यम से शासन से बजट की मांग की जा रही है. उन्होंने बताया कि होमगार्डों की ड्यूटी साफ्टवेयर के माध्यम से लगाई जाती है, इसलिए उनकी इच्छा के मुताबिक ड्यूटी लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि पीड़ित होमगार्ड को जल्द कोई सहायता दिलवाई जाए. साथ ही हम लोग भी व्यक्तिगत तौर पर चंदा इकट्ठा करके उनकी मदद करने की कोशिश करेंगे.