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ईंटों पर जीएसटी की दर में बढ़ोतरी वापस हो: शेषमणि तिवारी - नई टैक्स नीति

ईंटभट्ठों के लिए बनाई गई नई टैक्स नीति ने बाराबंकी में ईंट भट्ठा संचालकों में खलभली मचा दी है. भट्ठा संचालकों का आरोप है कि सरकार इस कुटीर उद्योग को खत्म करने की साजिश कर रही है.

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Published : Nov 8, 2021, 10:55 PM IST

बाराबंकी:सोमवार को जिले की ईंट निर्माता समिति के सदस्यों ने प्रदर्शन किया. ईंट भट्ठा संचालकों ने जिलाधिकारी के माध्यम से भारत सरकार के वित्त राज्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो पूरे सूबे के ईंट निर्माता बड़ा आंदोलन करेंगे.

जानकारी देते बाराबंकी ईंट निर्माता समिति अध्यक्ष शेषमणि तिवारी
बाराबंकी ईंट निर्माता समिति अध्यक्ष शेषमणि तिवारी ने कहा कि पहले ही लाल ईंटों को प्रतिबंधित कर फ्लाई ऐश ईंटों को बढ़ावा देने से ईंट-भट्ठा उद्योग बंदी के कगार पर चल रहा है. वहीं अब रही-सही कसर जीएसटी काउंसिल ने ईंटों पर जीएसटी के स्लैब में बदलाव करके पूरी कर दी है. इस कुटीर उद्योग को समाप्त करने की साजिश की जा रही है.ईंट निर्माताओं ने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने ईंटों पर कर की दर को 6 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है. इसकी वजह से कुटीर उद्योग खत्म हो जाएगा. इन्होंने कहा कि उत्पादन सेक्टर में 40 लाख तक सालाना टर्न ओवर, जीएसटी में करमुक्त है. वहीं ईंट निर्माताओं के लिए 20 लाख रुपये सालाना टर्न ओवर को कर मुक्त रखने का प्रस्ताव काउंसिल में किया गया है. ये घोर अन्याय है. काउंसिल के इस प्रस्ताव से 2022 में सबका अपना घर का सपना साकार नहीं हो सकेगा.

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ईंट निर्माताओं का कहना है कि इस कुटीर उद्योग से तकरीबन 8 करोड़ लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं. लगभग 2 लाख भट्ठों से 4 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और 4 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष यानी कुल 8 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है. जीएसटी के इस नए स्लैब के आ जाने से आम गरीब भी खासा प्रभावित होगा और वो छत बनवाने के लिए सोच भी नहीं सकेगा.

यही नहीं इस कुटीर उद्योग के बन्द हो जाने से न केवल प्रधानमंत्री आवास योजना पर बुरा असर पड़ेगा, बल्कि आम गरीब लोगों को भी अपने लिए ठिकाना बनाने में दुश्वारियों का सामना करना होगा.

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