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बाराबंकी: रेलवे स्टेश पर सुरक्षा को लेकर GRP और RPF ने किया मॉक ड्रिल - barabanki railway station

बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर लावारिस सूटकेस मिलने के इलाके में बम की अफवाह फैल गई. इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने घेराबंदी कर बम डिस्पोजल यूनिट को बुला लिया. लखनऊ से पहुंची टीम ने लावारिस सूटकेस की पड़ताल की. हालांकि कुछ समय बाद पता चला कि यह सिर्फ मॉक ड्रिल थी.

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एडीजी रेल ने रविवार को मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए थे.

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Published : Oct 19, 2020, 6:01 AM IST

बाराबंकी: रविवार शाम बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर एक लावारिस सूटकेस में बम की खबर से हड़कंप मच गया. सूचना पर पहुंची रेलवे पुलिस ने कोतवाली पुलिस को खबर दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने घेराबंदी कर बम डिस्पोजल यूनिट को बुलाया. करीब एक घण्टे बाद लखनऊ से बम निरोधक दस्ता पहुंचा और फिर चरणबद्ध तरीके से आधे घण्टे से ज्यादा लावारिस सूटकेस में रखे बम को डिफ्यूज करने का ऑपरेशन चला. इस दौरान स्टेशन और आसपास हड़कंप मचा रहा.

एडीजी रेल ने रविवार को मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए थे.

विभिन्न तकनीकों से सूटकेस की जांच की
बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर रविवार शाम को किसी ने स्टेशन के गेट के समीप एक लावारिस सूटकेस देखा. धीरे-धीरे ये खबर फैल गई कि सूटकेस में बम है. आनन-फानन में रेलवे पुलिस ने नगर कोतवाली को इसकी खबर दी. मौके पर भारी पुलिस फोर्स पहुंच गई और आसपास घेराबंदी कर दी. मामले की गंभीरता को देखते हुए बम डिस्पोजल यूनिट को खबर दी गई.

बम की सूचना से स्टेशन के आसपास हड़कंप की स्थिति रही. सूचना के एक घण्टे बाद लखनऊ से पहुंची टीम ने लावारिस सूटकेस की जांच-पड़ताल शुरू की. डिजिटल एक्सरे और फिर अपनी तकनीकों का प्रयोग शुरू किया. इस दौरान दूर खड़े तमाम लोग सांस थामे ये नजारा देखते रहे. आधे घण्टे की जांच पड़ताल के बाद बम डिस्पोजल यूनिट इस नतीजे पर पहुंची कि सूटकेस में बम नहीं है. टीम के सदस्य के अंगूठा ऊपर करके इशारा करते ही लोगों की जान में जान आई.

जब खुला राज सभी रह गए हैरान
काफी देर तक चले इस ऑपरेशन के बाद अंत में एसओ जीआरपी अंजनी कुमार ने ये राज खोला कि यह एक मॉक ड्रिल थी. ये सुनकर तमाम लोगों ने जहां सुकून की सांस ली तो वहीं कई लोग मुस्कुराए बिना नहीं रह सके.

क्यों हुई मॉक ड्रिल
बताते चलें कि दुर्गा पूजा और दशहरा को देखते हुए पुलिस की सतर्कता जांचने के लिए एडीजी रेल ने रविवार को मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए थे. लिहाजा योजना के मुताबिक थानाध्यक्ष जीआरपी अंजनी कुमार और आरपीएफ ने मिलकर सीक्रेट तरीके से ये ऑपरेशन अंजाम दिया. इसके अंत तक किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई.

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