बाराबंकी. बाराबंकी में एक बार फिर किसानों ने गन्ने की खेती की ओर रुझान किया है. पिछले कई वर्षों से घट रहा गन्ने का रकबा इस बार बढ़ गया है. अचानक बढ़े गन्ने के रकबे से विभागीय अधिकारी खासे उत्साहित हैं. शरदकालीन बोवाई के दौरान अब तक 25 सौ हेक्टेयर गन्ने की फसल बोई जा चुकी है जबकि पिछले वर्ष ये बोवाई महज 14 सौ हेक्टेयर थी. किसानों का रुझान देखकर विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार गन्ने का रकबा 25 फीसदी तक बढ़ जाएगा.
गन्ने का रकबा बढ़ने से अधिकारियों में उत्साह - Sugarcane cultivation in Barabanki
बाराबंकी में किसानों का रुझान गन्ने की खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. पिछले कई वर्षों से घट रहा गन्ने का रकबा इस बार बढ़ गया है. गन्ना विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में इस बार शीतकालीन बुआई के परिणाम चौंकाने वाले हैं. बीते वर्ष जहां नवम्बर-दिसम्बर तक महज 14 सौ हेक्टेयर गन्ना बोया गया था वहीं इस बार 25 हेक्टेयर बुआई हो चुकी है.
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बाराबंकी जिला गन्ने की खेती के लिए काफी उर्वर रहा है. इस नकदी खेती से किसानों को काफी लाभ होता था लेकिन पिछले दो दशक से जिले में मेंथा की खेती ने तेजी से पैर पसारे हैं और इस ओर किसानों की दिलचस्पी भी बढ़ी है. गन्ने के भुगतान में देरी, गन्ना पर्ची मिलने में परेशानी और आसपास की चीनी मिलों के बंद होने से किसानों का गन्ने की खेती से रुझान कम होने लगा.
घटता गया गन्ने का रकबा
वर्ष 2018-19 में जहाँ नए गन्ने के पौधे का रकबा 6241 हेक्टेयर और पेड़ी गन्ने का रकबा 4563 हेक्टेयर यानी कुल रकबा 10805 हेक्टेयर था, लेकिन वर्ष 2019-20 में ये रकबा घट गया. वर्ष 2019-20 में नए गन्ने के पौधे का रकबा 3998 हेक्टेयर और पेड़ी गन्ने का रकबा 5089 हेक्टेयर यानी कुल रकबा 9087 हेक्टेयर था. वर्ष 2020-21 में ये रकबा एक बार फिर घट गया. वर्ष 2020-21 में नए गन्ने का रकबा 4209 हेक्टेयर और पेड़ी गन्ने का रकबा 3280 हेक्टेयर यानी कुल रकबा 7490 हेक्टेयर रह गया. करीब 1600 हेक्टेयर रकबा घट जाने से एक समिति समाप्त कर दी गई.
रकबा घटने से एक समिति हुई बन्द
जिले के गन्ना विभाग में 40 हजार गन्ना किसान सदस्य हैं लेकिन करीब 13 हजार किसान ही गन्ने की खेती करते हैं. जिले में पहले बाराबंकी, बुढ़वल, दरियाबाद, हैदरगढ़ और बड़ागांव ये पांच गन्ना समितियां थीं लेकिन किसान कम होने से बड़ागांव समिति को समाप्त कर दिया गया.
सर्वे में चौंकाने वाले आये नतीजे
विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में इस बार शीतकालीन बुआई के परिणाम चौंकाने वाले हैं. बीते वर्ष जहां नवम्बर-दिसम्बर तक महज 14 सौ हेक्टेयर गन्ना बोया गया था वहीं इस बार 25 हेक्टेयर बुआई हो चुकी है. अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार करीब 25 फीसदी रकबा बढ़ जाएगा.
गन्ना मूल्य भुगतान और कम लागत की नकदी फसल बनी वजह
विभाग का मानना है कि गन्ने का शतप्रतिशत भुगतान और जागरूकता के चलते किसानों का रुझान गन्ने की खेती की ओर बढ़ रहा है. यही नहीं अधिकारियों का मानना है कि खराब मौसम के बावजूद भी किसानों को 70 से 80 फीसदी गन्ने का उत्पादन मिल जाता है और इसमें मेंथा, केला या और दूसरी नकदी फसलों जैसी लागत भी नहीं लगती.
निश्चय ही खाद्यान्न उत्पादन में हमारा देश आत्मनिर्भर से आगे बढ़ चुका है यही वजह है कि किसान अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नकदी खेती की तरफ बढ़ रहा है जिसमें कम लागत में गन्ने की खेती ज्यादा लाभकारी है.