बाराबंकी:जिला बाराबंकी नकदी खेती का हब बनता जा रहा है. परम्परागत खेती से हटकर यहां के अन्नदाता केला, टमाटर, शिमला मिर्च ,स्ट्राबेरी और अब तरबूज की खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं. मेंथा की पैदावार में सूबे में अव्वल यहां के किसानों का मन अब मेंथा से ऊबने लगा है. यहां के किसान दूसरे किसानों के लिए रोल मॉडल बन रहे हैं. जिन्होंने साबित कर दिया है कि खेती अब उनके लिए घाटे का सौदा नहीं रहा.
परम्परागत खेती से होते थे घाटे
- कृषि प्रधान जिले बाराबंकी में धान और गेहूं जैसी परम्परागत खेती कर घाटे में रहने वाले किसान जब इससे ऊबे तो जिले में पिपरमेंट की खेती उनके लिए नई रोशनी बनकर आई.
- किसान रबी और खरीफ की फसल के साथ मेंथा की खेती कर ज्यादा फसल भी पैदा करने लगे. जल्द ही तमाम किसान इससे भी ऊब गए.
- दरअसल मेंथा की खेती में मेहनत और लागत दोनों ही ज्यादा है. सबसे ज्यादा पानी लगने से किसान परेशान होने लगे.
- लिहाजा किसानों का रुख नकदी औद्यानिक खेती की ओर होने लगा.
- केला, टमाटर, शिमला मिर्च, स्ट्राबेरी और तरबूज की खेती कर किसान खासा मुनाफा कमाने लगे.
- कम लागत में ज्यादा मुनाफा होने के कारण पिछले वर्ष की अपेक्षा इस साल 350 हेक्टेयर तरबूज की खेती का क्षेत्रफल बढ़ गया.