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दिनदहाड़े हुई हत्या मामले में 3 दोषियों को आजीवन कारावास, एक को 14 वर्ष की सजा

बाराबंकी में 16 साल पहले हुए हत्याकांड में कोर्ट ने 3 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं, हत्या की साजिश रचने वाले को 14 साल की सजा दी है.

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Published : Mar 27, 2023, 8:38 PM IST

बाराबंकी: करीब 16 वर्ष पूर्व दिन दहाड़े हुई हत्या मामले में बाराबंकी की अदालत ने तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं हत्या की साजिश रचने के एक दोषी को 14 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. यह फैसला विशेष न्यायाधीश (ईसी एक्ट) उमेश चन्द्र पाण्डेय द्वितीय ने सुनाया है.


एडीजीसी क्रिमिनल राम जस सिंह ने बताया कि देवां थाना क्षेत्र के पटना पुरवा निवासी बालकराम ने देवां थाने में तहरीर देकर बताया था कि 11 सितम्बर 2007 को सुबह करीब साढ़े 7 बजे बालकराम और उसका लड़का अमर सिंह व रंजीत सिंह तथा वादी का भतीजा भारत का लड़का रेनू सिहाली टैम्पो स्टैंड से टैम्पो पर बैठकर एक हत्या के मामले में पेशी पर कचहरी आ रहे थे.

वादी के मुताबिक जब ये सभी लोग जहांगीराबाद टैम्पो स्टैंड पर उतरे तो करीब साढ़े 10 बजे सुबह राकेश वर्मा, कल्लू वर्मा, मुन्ना वर्मा निवासी मलिकापुर मजरे पटना एक अन्य अज्ञात व्यक्ति दो मोटर साइकिलों पर सवार होकर आए. इसके बाद वादी बालकराम के पुत्र अमर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी. दिनदहाड़े हुई इस हत्या से टेम्पो स्टैंड पर अफरातफरी मच गई. लोग दहशत में आ गए और आसपास के दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर भाग गए.

वादी ने आरोप लगाया था कि ये हत्या जेल में बंद अपराधी कमलेश पुत्र राम दुलारे निवासी टेरा दौलतपुर थाना जहांगीराबाद ने साजिश रचकर इन अभियुक्तों से कराई है. जहांगीराबाद पुलिस ने राकेश वर्मा, कल्लू वर्मा, मुन्ना वर्मा, उमाशंकर वर्मा और कमलेश वर्मा के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302,120 बी और मुन्ना वर्मा के विरुद्ध आर्म्स एक्ट का एक और मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. तत्कालीन विवेचक द्वारा साक्ष्य एकत्र करते हुए आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट फाइल की. मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए. मुकदमे के ट्रायल के दौरान एक आरोपी राकेश वर्मा की मौत हो गई. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश (ईसी ऐक्ट) उमेश चन्द्र पाण्डेय द्वितीय ने सोमवार को कल्लू वर्मा, मुन्ना वर्मा और उमाशंकर वर्मा को आईपीसी की धारा 302/34 का दोषी करार देते हुए तीनों को आजीवन कारावास और प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. वहीं, कमलेश वर्मा को आईपीसी की धारा 120 बी सपठित धारा 302 आईपीसी का दोषी करार देते हुए उसे 14 वर्ष का कठोर कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई.

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