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9 साल पहले नाबालिग के साथ किया था दुष्कर्म, कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोपी को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही दोषी पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. मामला साल 2011 का है.

court sentenced convict to 10 years in jail
बारांबकी में नाबालिग से रेप के दोषी को 10 साल की सजा.

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Published : Dec 17, 2020, 9:47 PM IST

बाराबंकी : अदालत ने नौ वर्ष पूर्व एक किशोरी के साथ हुए दुराचार मामले में एक आरोपी को दोषी करार देते हुए 10 साल के कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जुर्माना अदा न करने पर दोषी को 06 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने सुनाया है. जुर्माने की धनराशि में से 20 हजार रुपये पीड़िता को दी जाएगी.

क्या है पूरा मामला
इस मामले की लिखित तहरीर वादिनी ने 22 नवम्बर 2011 को थाना राम सनेहीघाट में दी थी कि मेरी 11 वर्षीय पुत्री को लवकेश उर्फ लल्लन पुत्र राम सरन निवासी धनौरा, थाना असंदरा, जनपद बाराबंकी, गोविन्दे पुत्र रामेश्वर, गुड्डा पत्नी गोविन्दे निवासी भावनियापुर, थाना राम सनेही घाट, जिला बाराबंकी और शोभाराम पुत्र धनीराम थाना राम सनेही घाट, बाराबंकी बहला फुसलाकर भगा ले गए हैं. इस मामले में धारा 363, 366 और 120 बी में मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की गई. विवेचना के दौरान धारा 376 आईपीसी की बढोत्तरी की गई, जिसमें तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए आरोप पत्र माननीय न्यायालय में प्रेषित किया गया.

अभियोजन पक्ष ने की पैरवी
मामले में समुचित पैरवी करते हुए अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य पेश किए और गवाहियां कराई गई. पुलिस कार्यालय की मॉनिटरिंग सेल ने पैरवी करते हुए गवाहों को न्यायालय में पेश किया. अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी ने मामले को साबित करने के लिए साक्ष्य पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष की गवाहियों और दलीलों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या 45 वीरेंद्र नाथ पांडे ने मामले में आरोपी लवकेश को आईपीसी की धारा 363, 366 और 376 में दोषी पाते हुए 10 साल के कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. जुर्माना अदा न करने पर दोषी को 06 माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा. वहीं अभियुक्तगण गोविन्दे पुत्र रामेश्वर, गुड्डा पत्नी गोविन्दे और शोभाराम पुत्र धनीराम को न्यायालय द्वारा दोषमुक्त कर दिया गया.

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