बाराबंकी: खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए भारत सरकार ने खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत हर ब्लॉक में मल्टी पर्पज हाल सहित खेल मैदानों को विकसित करना था, जिससे ग्रामीण अंचलों की छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे निकलने का मौका मिले, लेकिन इसके लिए 6 एकड़ जमीन की शर्त अभियान में बाधा बनी है. बीते तीन सालों में खेल विभाग और युवा कल्याण विभाग 12 विकास खंडों में जमीन तलाश नहीं कर पाया है.
ग्रामीण अंचलों में खेलकूद
वर्ष 1952 में सूबे की सरकार ने युवा कल्याण विभाग की स्थापना कर ग्रामीण खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए युवक मंगल दल का गठन किया था. इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एकड़ भूमि खेल मैदान के लिए आरक्षित करने के आदेश दिए गए थे. प्रोत्साहन राशि बंद हुई तो खेल गतिविधियां कम हो गईं. लिहाजा इन खेल मैदानों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए. वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने गांवों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पायका योजना यानी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान की शुरुआत की. इसके तहत मनरेगा से खेल मैदान तैयार कराए जाने थे. कुछ गांवों में तो इसकी शुरुआत हुई, खेल उपकरण भी दिए गए, लेकिन धीरे-धीरे ये योजना भी अनियमितता की शिकार हो गई और योजना बंद कर दी गई.
राजीव गांधी खेल योजना
फरवरी 2014 में एक बार फिर खेल-कूद को प्रोत्साहन और छुपी हुई प्रतिभाओं को निखारने की योजना बनी और राजीव गांधी खेल योजना शुरू की गई. राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के नाम पर बड़े जोर-शोर से इस योजना की शुरुआत की थी, लेकिन वर्ष 2016 में इस योजना को बंद कर इसे खेलो इंडिया में मर्ज कर दिया गया. वर्ष 2016 में पीएम मोदी ने खेलो इंडिया की शुरुआत की. राजीव गांधी खेल योजना के साथ-साथ दो और योजनाओं अर्बन स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम और नेशनल स्पोर्ट्स टैलेंट सर्च को भी खेलो इंडिया में मर्ज कर दिया गया.