बाराबंकी: तहसील फतेहपुर के क्षेत्र के ज्यादातर किसान मेंथा की फसल पर निर्भर है. मेंथा की फसल से किसानों को अच्छी आमदनी होती है. मेंथा की पेराई के दौरान किसान हादसों का शिकार भी हो रहे हैं.
मेंथा की पेराई के दौरान हादसों की वजह टंकियों के निर्माण के समय सुरक्षा मानकों की अनदेखी बताई जा रही है. पिछले दिनों कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गौरा गजनी में मेंथा की पेराई करते समय टंकी फट गई थी. इस हादसे में एक युवक गंभीर रूप से झुलस गया था. युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई थी.
इस तरह की घटनाएं मेंथा पेराई के दौरान प्रति वर्ष होती रहती हैं, लेकिन प्रशासन ऐसी घटनाओं का संज्ञान नहीं ले रहा है. ऐसी ज्यादातर घटनाएं कम कीमत की असुरक्षित टंकियों के इस्तेमाल से हो रही हैं. संयंत्र की डिजाइन निर्माण सामग्री ठीक ना होने के कारण टंकी फटने की आशंका ज्यादा रहती है.
इस संबंध में क्षेत्रीय उद्यान निरीक्षक गिरीश चंद्र मिश्र ने फोन पर बात कर बताया कि आईएसआई मार्क के टंकियों का इस्तेमाल करना चाहिए. मेंथा ऑयल की पेराई करने वाले बॉयलरों एवं टंकियों में क्षमता से 5 से 10 प्रतिशत कम भराई करके उबाला जाए. वॉल और टंकियों की नियमित सफाई करना आवश्यक है. प्रत्येक टंकी में सेफ्टी वाल लगाया जाना बेहद जरूरी है. बिना सेफ्टी वाल वाली टंकियों में हादसे होने की आशंका सदैव बनी रहती है.