बाराबंकी: वर्ष 2025 तक देश से हर हाल में टीबी के खात्मे के लिए पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप स्वास्थ्य विभाग चरणबद्ध अभियान चला रहा है. दो नवम्बर से एक बार फिर सक्रिय टीबी रोगी खोज मरीज अभियान की शुरुआत होने जा रही है. सहायक क्षयरोग अधिकारी डॉ. अनुपम सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का उद्देश्य है कि टीबी जैसी खतरनाक बीमारी का देश से खात्मा हो. इसके कंट्रोल पर उनका फोकस नहीं है, क्योंकि कंट्रोल से देश को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. उन्मूलन ही हल है.
बाराबंकी: 2025 तक टीबी खात्मे के लिए अभियान शुरू
प्रदेश में दो नवम्बर से एक बार फिर सक्रिय टीबी रोगी खोज मरीज अभियान की शुरुआत होने जा रही है. सहायक क्षयरोग अधिकारी डॉ. अनुपम सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का उद्देश्य है कि टीबी जैसी खतरनाक बीमारी का देश से खात्मा हो.
दस दिनों तक चलने वाले इस महाभियान के लिए 130 टीमें बनाई गई हैं, जो घर-घर जाकर लोगों को इसके लक्षणों की जानकारी देंगी. साथ ही सम्भावित रोगी की जांच कराएंगी. आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की इस अभियान में अहम भूमिका रहेगी. इसके लिए उन्हें खास ट्रेनिंग दी गई है.
सभी ब्लॉकों में चलने वाले इस अभियान में जिले की दस फीसदी आबादी यानी 3 लाख 67 हजार को चिन्हित किया गया है. 29 सुपरवाइजर की देखरेख में 130 टीमें 67 हजार 712 घरों पर जाकर सम्भावित रोगी तलाशेंगे. पूरे अभियान की मॉनिटरिंग के लिए 09 चिकित्साधिकारियों को लगाया गया है. शाम को समीक्षा कर हर रोज शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी.
जिले में 3587 रोगियों का चल रहा इलाज
जिले में कुल 3587 क्षयरोगी हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है. इनमें से 3108 रोगियों का जिला टीबी अस्पताल और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से इलाज हो रहा है, जबकि 479 मरीज ऐसे हैं, जो निजी चिकित्सकों से अपना इलाज करा रहे हैं.
डाककर्मी भी कर रहे सहयोग
कोविड संकट से जंग के साथ-साथ वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की पीएम मोदी की मंशा को गति देने के लिए बीती पहली मई से एक नई योजना भी शुरू की गई थी. टीबी मरीजों के इलाज में कोई कोताही न हो, समय पर उनके बलगम के सैम्पल के जांच हो जाए, इसके लिए डाक विभाग को भी लगाया गया है. जिले में 33 केंद्र हैं, जहां से सैम्पल इकट्ठा कर डाकिए उन्हें बाराबंकी, फतेहपुर और सूरतगंज में बनाये गए तीन सीबीनाट यानी कार्टिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट केंद्रों पर पहुंचाते हैं. अब तक 947 सैम्पल पहुंचाए जा चुके हैं.
घनी आबादियों को किया गया चिन्हित
इस अभियान के लिए घनी आबादी वाले इलाकों, अंधेरे में एक कमरे में रहने वाले इलाकों, मुस्लिम बस्तियों, मलिन बस्तियों, नट, पत्थरकट और डेरे में रहने वाली आबादी को चुना गया है. यही नहीं अभियान में धर्म गुरुओं और गांव के जिम्मेदार लोगों की भी मदद ली जा रही है, ताकि लोग जांच कराने से पीछे न हटें.
जेल में भी चलेगा अभियान
जेल में निरुद्ध बंदियों की जांच के लिए भी विशेष अभियान चलेगा. सहायक क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि जिले में वर्ष 2018 से शुरू हुए इस चरणबद्ध अभियान में करीब 70 फीसदी आबादी कवर हो चुकी है. बाकी की 30 फीसदी आबादी को जल्द ही कवर कर लिया जाएगा.