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आंबेडकर के संविधान को नहीं मानती BJP, खत्म करना चाहती है आरक्षण: आरके चौधरी

भारतीय संविधान संरक्षण संघर्ष समिति ने आरक्षण के समर्थन में जनांदोलन शुरू किया है. बीएस-4 के संस्थापक आरके चौधरी ने निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा आंबेडकर के संविधान को नहीं मानती. वह आरक्षण को खत्म करना चाहती है.

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बीएस4 ने शुरू किया जनांदोलन.

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Published : Feb 11, 2021, 7:38 PM IST

बाराबंकी: आरक्षण खत्म किए जाने की आशंका से खौफ खाई बीएस4 यानी भारतीय संविधान संरक्षण संघर्ष समिति ने आरक्षण के समर्थन में जनांदोलन शुरू किया है. इसके तहत हर जिले में अभियान चलाकर दलितों और पिछड़ों को जागरूक किया जा रहा है. बीएस4 का आरोप है कि वर्तमान भाजपा सरकार आंबेडकर के संविधान को नहीं मानती. यही वजह है कि आरक्षण के खिलाफ लगातार फैसले किए जा रहे हैं.

बीएस-4 ने शुरू किया जनांदोलन.
हर जिले में कार्यकर्ताओं में भरा जा रहा जोश
बीएस4 के संस्थापक और उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आरके चौधरी हर जिले में जाकर कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं. वर्कर्स मीटिंग कर उन्हें एकजुट किया जा रहा है. जुलाई माह में राजधानी लखनऊ में बड़ा आंदोलन होगा. उसके बाद भी अगर सरकार न मानी तो ये जनांदोलन पूरे देश मे फैलेगा.
भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
आरके चौधरी ने आरोप लगाया कि दलितों और पिछड़े वर्ग के आरक्षण के मुकदमे में भाजपा सरकार ने घटिया दलील पेश की, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी और 11 जून 2020 को दुर्भाग्यपूर्ण फैसला दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है. सरकार आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा सरकार दलितों और पिछड़े वर्ग के आरक्षण को बर्दाश्त नहीं कर पा रही. यही वजह है कि सरकार ने दलित छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति राशि देना बंद कर दिया है. सरकार संविधान की मूल भावना के अनुरूप काम ही नहीं कर रही, बल्कि मनुस्मृति को अपना संविधान मानकर काम कर रही है.
सवर्णों को आरक्षण देने के लिए कर रही साजिश
आरके चौधरी ने कहा कि सरकार आठ लाख रुपये तक सालाना आय वाले उच्च वर्ग को गरीबी का प्रमाण पत्र देकर उसे 10 फीसदी आरक्षण दे रही है. सरकार ने ढाई लाख रुपये से अधिक सालाना आय पर इनकम टैक्स लगाया है. सरकार इनकम टैक्स देने वाले सवर्णों को आरक्षण के दायरे में लाने के लिए फर्जी गरीबी का प्रमाण पत्र दे रही है. प्राइवेट संस्थान आरक्षण का लाभ नहीं देते. यही कारण है कि सरकार तमाम सरकारी संस्थानों के प्राइवेटाइजेशन का खेल कर रही है.

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