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बाराबंकी के एसपी डॉ. अरविद चतुर्वेदी को मिला पुलिस पदक - 15 अगस्त पर पुलिसकर्मियों को किया गया सम्मानित

वीरता पुरस्कार के लिए बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविद चतुर्वेदी का भी चयन हुआ था. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर पुलिस पदक के लिए दूसरी बार सम्मानित किया गया है.

एसपी अरविंद चतुर्वेदी
एसपी अरविंद चतुर्वेदी

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Published : Aug 15, 2020, 3:47 PM IST

बाराबंकी: पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी को इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर वीरता के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. डॉ. अरविंद चतुर्वेदी को वीरता के लिए मिलने वाला ये दूसरा पुलिस पदक है. गृह विभाग की ओर से जारी की गई यूपी की 23 पुलिसकर्मियों की सूची में डॉ. अरविंद चतुर्वेदी को पहली बार पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री सम्मान देने की घोषणा की गई थी. उन्हें यह पदक यूपी एसटीएफ में रहते हुए अप्रैल 2006 में मुंबई में अपराधी फिरदौस से हुई मुठभेड़ के लिए दिया गया है.

वीरता के लिए मिले पुलिस पदक से उत्साहित पुलिस कप्तान डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि एसटीएफ में तैनाती के दौरान उन्होंने अपराधियों के खिलाफ सैकड़ों सफल अभियानों का नेतृत्व किया है, लेकिन जिस मुठभेड़ के लिए उन्हें वीरता पदक मिला है, वो उनके जीवन का यादगार लम्हा है.

कौन था कुख्यात अपराधी फिरदौस
डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि कुख्यात अपराधी फिरदौस कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी गैंग का सक्रिय सदस्य था. फिरदौस उर्फ जावेद उर्फ राजेश कुमार सिंह कोलकाता से मुगलसराय तक कोयला व्यवसाइयों के बीच आतंक का पर्याय माना जाता था. उसके खिलाफ यूपी समेत कई थानों में दर्जनों गम्भीर मामले दर्ज थे.

सबसे चर्चित मामला यूपी के गाजीपुर से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का था. इस हत्याकांड में फिरदौस ने 29 नवम्बर 2005 को एके-47 से विधायक, दो पुलिसकर्मियों सहित 7 लोगों की हत्या की थी. उसके बाद फिरदौस की गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम रख दिया गया था.

एसटीएफ को मिली थी फिरदौस को पकड़ने की जिम्मेदारी
फिरदौस की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी यूपी एसटीएफ को सौंपी गई थी और टीम गठन का नेतृत्व उस समय डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने किया था. वर्ष 2005 में कई ऐसे एक्सपर्ट अपराधी थे, जो मोबाइल तकनीक का प्रयोग कर पुलिस सर्विलांस से बचे हुए थे. फिरदौस मोबाइल टेक्नोलॉजी का अच्छा जानकार था. लिहाजा वो वीईआईपी कॉल का प्रयोग करता था और पुलिस सर्विलांस की पकड़ में नहीं आ रहा था.

मुम्बई में हुआ था एनकाउंटर
मॉडर्न टेक्नोलॉजी और डिजिटल सर्विलांस के एक्सपर्ट डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की टीम ने योजना बद्ध तरीके से फिरदौस के सभी डिजिटल इनपुट जुटाने शुरू किए. आखिरकार 19 अप्रैल 2006 में मुम्बई के भीड़भाड़ वाले इलाके मलाड में फिरदौस के होने की खबर मिली.

उस समय बड़ी ही सतर्कता के साथ टीम ने मलाड पहुंचकर फिरदौस को घेर लिया. अपने आपको एसटीएफ से घिरा देखकर फिरदौस ने दिनदहाड़े पुलिस टीम पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. जवाबी कार्रवाई में एसटीएफ टीम ने भी फायरिंग की, जिसमें फिरदौस घायल हो गया. घायल फिरदौस को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

पुलिस के लिए दिनों दिन बढ़ रही चुनौतियां
एसटीएफ में रहने के दौरान डॉ. अरविंद चतुर्वेदी को कई नए अनुभव हुए. उन्होंने बताया कि अपराधियों के प्रयोग की जाने वाली तकनीक, अपराध का स्वरूप, अपराधियों का माइंड सेट व अपराधों की व्यापकता समय के साथ बढ़ रही है. यही वजह है अपराधों का अन्वेषण और अनावरण भी पुलिस के लिए एक बढ़ती हुई चुनौती बनता जा रहा है.

सम्मान मिलने पर लोगो का जताया आभार
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि वे अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें समर्पित सहकर्मी, उत्साहित करने वाले उच्चाधिकारी और उत्कृष्ट कार्य करने वाले मेंटर्स मिले. इसके लिए उन्होंने अपने समर्थकों का आभार जताया है.

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