बाराबंकी: पुरुष नहीं करा रहे नसबंदी, जनसंख्या नियंत्रण में महिलाएं निभा रहीं जिम्मेदारी - बाराबंकी में नसबंदी नहीं करवा रहे पुरुष
यूपी के बाराबंकी जिले में बीते एक दशक में नसबंदी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी नगण्य है. वहीं महिलाएं इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
बाराबंकी में नसबंदी कार्यक्रम.
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Published : Aug 24, 2020, 8:12 PM IST
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Updated : Aug 24, 2020, 10:38 PM IST
बाराबंकी: ज्यादातर मामलों में पुरुष, महिलाओं को पीछे कर खुद आगे आ जाते हैं, लेकिन जब बात नसबंदी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम की आती है तो पुरुष खुद पीछे होकर महिलाओं को आगे कर देते हैं. कम से कम बाराबंकी में तो ऐसा ही दिखाई दे रहा है. यहां पिछले एक दशक से पुरुषों की नसबंदी न के बराबर है, जबकि महिलाएं बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दे रही हैं.
बाराबंकी में नसबंदी कार्यक्रम.
मंचों और सेमिनारों में महिला हितों की बड़ी-बड़ी बातें भले ही की जाती हों, लेकिन हमारा समाज आज भी पुरुष मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाया है. यही वजह है कि जहां पर लाभ लेने की बात आती है तो वहां पर पुरुष वर्ग महिलाओं को पीछे कर खुद आगे आ जाता है. इसके उलट बात अगर नसबंदी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम में सहयोग करने की हो तो उसमें पुरुष वर्ग महिलाओं को आगे कर देता है.
पिछले एक दशक के आंकड़े
वर्ष
महिला नसबंदी
पुरुष नसबंदी
2010-11
4094
13
2011-12
3463
05
2012-13
3179
03
2013-14
4973
24
2014-15
6618
22
2015-16
4513
30
2016-17
5145
63
2017-18
4554
48
2018-19
4757
24
2019-20
1165
07
समाज सेविका प्राची शुक्ला का कहना है कि तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को काबू में करने के लिए भारत में वर्ष 1952 में परिवार कल्याण कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. जिसका मकसद था कि देश की अर्थव्यवस्था की आवश्यक्ता के अनुरूप जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए जन्म दर में कमी लाई जाए. इसके लिए नसबंदी जैसे कई कार्यक्रम चलाए गए, लेकिन हैरानी की बात ये कि पुरुषों की इसमें जरा भी दिलचस्पी नहीं. तमाम महिलाओं को इस भेद को लेकर खासी पीड़ा भी है. उनका कहना है कि परिवार नियोजन अकेले उनकी जिम्मेदारी नहीं है, इसमें पुरुषों को भी आगे आना होगा.
सीएमओ डॉ. रमेश चन्द्रा का कहना है कि समाज में गलत धारणा के चलते पुरुष नसबंदी कराने से कतराते हैं. हमारे पुरुष प्रधान देश में नसबंदी को मर्दानगी से जोड़कर देखा जाता है. इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग लगातार अभियान चला रहा है.