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मुख्तार अंसारी एम्बुलेंस मामला: आरोपी को एआरटीओ कार्यालय लेकर पहुंची पुलिस - barabanki police reached arto office

बाराबंकी पुलिस ने मुख्तार अंसारी द्वारा इस्तेमाल में लाई जा रही एम्बुलेंस की छानबीन शुरू कर दी है. एम्बुलेंस के रजिस्ट्रेशन में किन-किन लोगों का हाथ था. इसकी पुलिस खोजबीन कर रही है. शनिवार को बाराबंकी पुलिस इस मामले के एक आरोपी को एआरटीओ कार्यालय लेकर पहुंची और छानबीन शुरू की.

जांच में जुटी पुलिस.
जांच में जुटी पुलिस.

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Published : Apr 17, 2021, 6:52 PM IST

बाराबंकी:मुख्तार अंसारी द्वारा इस्तेमाल में लाई जा रही चर्चित एम्बुलेंस की छानबीन बाराबंकी पुलिस ने शुरू कर दी है. इस एम्बुलेंस के रजिस्ट्रेशन में किन किन लोगों ने सहयोग किया था. उनकी पड़ताल की जा रही है. शनिवार को बाराबंकी पुलिस इस मामले के एक आरोपी को लेकर एआरटीओ कार्यालय पहुंची और छानबीन शुरू की. छानबीन के दौरान कार्यालय में हड़कंप मच गया. पुलिस आरोपी को कार्यालय के कई पटलों पर ले गई और पहचान करने को कहा, लेकिन आरोपी ये कहता रहा कि वो कभी भी इस कार्यालय में आया ही नहीं.

एम्बुलेंस.

फर्जी दस्तावेजों के सहारे हुआ था पंजीकरण
मुख्तार अंसारी मामले में बरामद हुई एम्बुलेंस फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बाराबंकी में पंजीकृत कराई गई थी. इस मामले में मऊ निवासी डॉ. अलका राय के खिलाफ नगर कोतवाली क्राइम नंबर 369/21 पर 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.

विवेचना के आधार पर बढ़ाये गए नाम
जांच करने मऊ गई पुलिस टीम की विवेचना के आधार पर श्याम संजीवनी अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की डॉ. अलका राय उनके सहयोगी डॉक्टर शेषनाथ राय, मुख्तार अंसारी, मुजाहिद, राजनाथ यादव व अन्य के नाम इस आपराधिक षड्यंत्र में कूट रचित दस्तावेज तैयार कराने में प्रकाश में आया था. जिन्होंने दबाव बनाकर प्रपत्रों पर हस्ताक्षर कराया और आपराधिक षड्यंत्र कर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी करते हुए विधिविरुद्ध उपयोग हेतु उक्त वाहन को खरीदा. यही नहीं उसका पंजीकरण कराकर उसका गलत इस्तेमाल किये जाने के आपराधिक कृत्य एवं अवैध पंजीयन के बावजूद अपने कब्जे में रखकर एम्बुलेंस का संचालन किया. इस मामले मे विवेचना के आधार पर धारा 120 बी, 506, 177 आईपीसी और 07 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट ऐक्ट की बढोत्तरी की गई थी.

एक आरोपी किया गया था गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने आरोपी राजनाथ यादव को गिरफ्तार कर 06 अप्रैल को अदालत में पेश किया था. जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था. बाद में राजनाथ की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था. जमानत का कोई आधार न होने पर अदालत ने जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था. उसके बाद पुलिस ने आरोपी राजनाथ को रिमांड पर लिया था. जिससे एम्बुलेंस के रजिस्ट्रेशन की बाबत पूछताछ की जा रही है. इसी क्रम में शनिवार को नगर कोतवाली पुलिस उसे लेकर एआरटीओ कार्यालय पहुंची थी.

स्थानीय कनेक्शन तलाश रही पुलिस
पुलिस इस मामले में स्थानीय कनेक्शन को तलाश रही है. जिसने एम्बुलेंस पंजीकरण कराने में भूमिका निभाई थी. पुलिस ऐसे सभी लोगों से पूछताछ कर रही है. मुख्तार अंसारी से संबंध रखने वालों पर पुलिस नजर बनाए हुए है. कई लोगों को बुलाकर पुलिस समय-समय पर पूछताछ कर रही है. पुलिस का मानना है कि बिना किसी एआरटीओ के कर्मचारी की मिलीभगत के चलते फर्जी दस्तावेजों से रजिस्ट्रेशन होना मुमकिन ही नहीं. इसलिए पुलिस एआरटीओ कार्यालय के कर्मचारियों की पहचान के लिए आरोपी राजनाथ यादव को कार्यालय ले गई थी.

एआरटीओ का बयान
एआरटीओ पंकज सिंह ने बताया कि पुलिस आरोपी राजनाथ यादव को कार्यालय लाई थी. जहां उसे तमाम पटलों पर ले जाया गया, लेकिन वो कहता रहा कि वो कभी इस कार्यालय में आया ही नहीं. हालांकि पंकज सिंह ने कहा कि 2013 का रजिस्ट्रेशन है तब से तमाम कर्मचारी बदल गए हैं.

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