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बम और गोली मारकर ग्रामीण की हत्या में पांच सगे भाइयों को आजीवन कारावास, सात साल पहले हुई थी घटना - बाराबंकी न्यूज

बाराबंकी में सात साल पहले हुई ग्रामीण की हत्या के मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला (Life imprisonment to five real brothers) सुनाया. पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.

बाराबंकी
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Published : Aug 11, 2023, 10:45 PM IST

बाराबंकी :सात साल पहले रास्ते के विवाद में बम और गोली मारकर एक ग्रामीण की हत्या कर दी गई थी. मामले में अदालत ने पांच सगे भाइयों को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने पांचों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. प्रत्येक दोषी पर 36 हजार 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-10 राजीव कुमार द्वितीय ने दोषियों को सजा सुनाई. कोर्ट ने आदेश में कहा कि हत्या के बाद मृतक के परिजनों को आर्थिक एवं मानसिक क्षति उठानी पड़ी है. दोषियों द्वारा अदा की जाने वाली जुर्माने की राशि में से 25 -25 हजार रुपये मृतक के परिजनों को दिए जाएंगे.

2016 में हुई थी घटना :अभियोजन अधिकारी अरविंद राजपूत ने बताया कि दरियाबाद थाने के सैदखानपुर निवासी दुखहरन ने 2016 में 12 जनवरी को दरियाबाद थाने में तहरीर दी थी. आरोप लगाया था कि शाम करीब 5:30 बजे वह, उसका बेटा धर्मेंद्र और उसके पिता रामसमुझ साइकिल से सैदखानपुर बाजार से बैंगन बेचकर घर लौट रहे थे. इस दौरान रास्ते के विवाद में गांव के रमेश, दिनेश, राकेश, राजू उर्फ राजकुमार, मुकेश उर्फ सुग्गू पुत्रगण रामपाल ने गालियां दी. पांचों सगे भाइयों ने रामसमुझ की हत्या की बात कही. राकेश और रमेश हाथ में कट्टा था, जबकि मुकेश, राजू और दिनेश हाथ में बम लिए हुए थे. उन्होंने फायरिंग और बम से हमला कर रामसमुझ की हत्या कर दी.

अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाया फैसला :वारदात के दौरान दुखहरन नहर में जाकर छिप गया. धमाके से राहगीरों में भी भगदड़ मच गई थी. घटना के बाद आरोपी फरार हो गए थे. दुखहरन की तहरीर पर दरियाबाद थाने में दिनेश, मुकेश, राकेश, राजू और रमेश के खिलाफ सैदखानपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. पुलिस ने साक्ष्य संकलित कर पांचों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की. इस मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर -10 राजीव कुमार द्वितीय ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया. उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, और जुर्माना भी लगाया.

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