उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

बाराबंकी: जिला अस्पताल में 6 माह बाद भी नहीं शुरू हो सका 'जिरियाटिक वार्ड'

By

Published : Aug 7, 2019, 1:34 PM IST

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला अस्पताल में बना 'जिरियाटिक वार्ड' अभी तक नही शुरू किया जा सका है. पिछले छह माह पहले से बनकर तैयार इस वार्ड को हैंडओवर तक नहीं किया गया था. अब जब हैंडओवर किया गया तो संसाधनों की कमी के चलते इसका संचालन ठप्प है.

छह माह से बनकर तैयार है 'जिरियाटिक वार्ड'.

बाराबंकी: जिला अस्पताल में 'जिरियाटिक वार्ड' बनाने के लिए में जमीन चिन्हित की गई थी. बुजुर्गों की सेहत सुधारने और उनकी बेहतर देखभाल के लिए दो वर्ष पहले अलग से जिरियाटिक वार्ड बनाने की योजना बनी थी, लेकिन बुजुर्गों के लिए बना यह वार्ड अभी तक नहीं शुरू किया जा सका है.

छह माह से बनकर तैयार है 'जिरियाटिक वार्ड'.

संसाधनों के अभाव में शुरू नहीं हुआवार्ड
सीएमएस डॉ. एसके सिंह ने बताया किशासन के निर्देश पर साल 2017 में जिरियाटिक वार्ड बनाए जाने की योजना बनाई गई थी, जिसे अभी हाल ही में हैंडओवर किया गया था. जल्द इसे शुरू करा दिया जाएगा. शासन ने इसके बनाने की मंजूरी देते हुए 40 लाख रुपये भी निर्गत कर दिए थे. पीडब्ल्यूडी खण्ड तीन को इसके निर्माण की कार्यदाई संस्था बनाया गया था.

6 माह से बनकर तैयार है 'जिरियाटिक वार्ड'
इस वार्ड का करीब छह महीने पहले निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. बावजूद इसके अभी तक इसका संचालन शुरू नहीं कराया जा सका है. पिछले छह माह पहले से बनकर तैयार इस वार्ड को हैंडओवर तक नहीं किया गया था. हाल ही में जिलाधिकारी के संज्ञान लेने पर इसे अस्पताल को हैंडओवर किया गया, लेकिन अब संसाधनों की कमी के चलते इसका संचालन ठप्प है.

'जिरियाटिक वार्ड' में होती हैं ये सुविधाएं
उच्चरक्तचाप, मधुमेह, गठिया, अल्जाइमर जैसी बीमारियों से ग्रसित बुजुर्गों को एक अलग वार्ड में भर्ती किया जाना था, ताकि उनका इलाज शांतिपूर्ण माहौल में बेहतर ढंग से हो सके. 10 बेड के इस वार्ड में अत्याधुनिक मशीनों के साथ हर बेड पर आक्सीमीटर भी लगा होगा ताकि इन बुजुर्ग मरीजों की समय-समय पर जांच की जा सके और तबीयत में किस हद तक सुधार है, यह पता चलता रहे. इसके साथ ही फिजियोथेरेपी की भी सुविधा रहेगी. राष्ट्रीय हेल्थ मिशन की योजना के मुताबिक 10 बेड के इस वार्ड में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बीमार बुजुर्गों की भर्ती होनी थी. बुजुर्ग मरीजों को अलग से भर्ती करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में सभी मरीजों को इमरजेंसी, सर्जिकल, आर्थोपेडिक और जनरल वार्ड में भर्ती किया जाता था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details