बाराबंकी:जनपद में करीब 14 वर्ष पूर्व सरेशाम एक युवक की हत्या के प्रयास के एक मामले में अदालत ने 5 दोषियों को 7-7 वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक को 75 सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-2 अनिल कुमार सिंह ने सुनाया है.
एडीजीसी क्रिमिनल सुनील दुबे ने अभियोजन कथानक बताया कि आशीष दीक्षित निवासी अमोलीकला ने रामनगर थाने में तहरीर देकर बताया था कि 6 अक्टूबर 2008 को उसके गांव में कवि सम्मेलन था. जिसमे गांव के तमाम लोग मौजूद थे. गांव के विवेक सिंह, मोनू सिंह, नरेंद्र सिंह ,नंगू सिंह और मनोज सिंह भी थे. कवि सम्मेलन में महिलाएं एव लड़कियां भी थी. ये लोग लड़कियों से छेड़छाड़ कर रहे थे. चूंकि मैं कवि सम्मेलन की व्यवस्था देख रहा था. लिहाजा उन लोगों को ऐसा करने से रोका तब ये लोग गालियां देते हुए उलझ गए. साथ ही धमकी देने लगे कि बाद में तुम्हें बताएंगे और यह कहते हुए चले गए. इसी रंजिश को लेकर 11 अक्टूबर 2008 को शाम 6 बजे जब वह रामनगर से वापस हो रहा था. इसी दौरान वह निरंकार के भट्ठे के पास पहुंचा था. वहां पहले से ही ये सभी लोग छिपे हुए बैठे थे .उसे देखते ही गाली देने लगे और उसकी मोटरसाइकिल रोककर लिया. इसके बाद नरेंद्र सिंह ने उस पर तमंचे से फायर कर दिया. उसने सिर को झुका लिया और गोली सिर के ऊपर से निकल गई. तभी विवेक सिंह व मोनू सिंह जो सरिया लिए हुए थे. इन लोगों ने नंगू सिंह बांका और मनोज लाठी लिए थे. सभी ने एक राय होकर उस पर हमला बोल दिया और उसे मारना शुरू कर दिया.
Barabanki News: हत्या के प्रयास में 14 वर्ष बाद 5 दोषियों को 7-7 साल की सजा
बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र में हत्या के प्रयास के मामले में 5 आरोपियों को कोर्ट ने 7-7 वर्ष की सजा सुनाई है. इसके अलावा 75 सौ रुपये जुर्माना भी ठोंका है.
आशीष दीक्षित ने बताया कि उसके द्वारा चिल्लाने पर गांव के लोग आ गए. जहां मौके से फरार हो गए. रामनगर थाने की पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. तात्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन कर इन पांचों के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 323, 504, 506 आईपीसी और 7 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट ऐक्ट के तहत चार्जशीट फाइल की. अभियोजन ने मामले में ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्क सुनने के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 2 अनिल सिंह ने पांचों आरोपियों को दोषसिद्ध करार देते हुए प्रत्येक को 7-7 वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक को 75 सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
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