Barabanki Court News : बाराबंकी की पांच अदालतों ने पांच अलग-अलग मामलों में सुनाई सजा - बाराबंकी डे ऑफ जस्टिस
15:42 April 01
Barabanki Court News : बाराबंकी की पांच अदालतों ने अलग-अलग पांच मामलों में सुनाई सजा
बाराबंकी : बाराबंकी में शुक्रवार डे ऑफ जस्टिस साबित हुआ.यहां की पांच अदालतों ने पांच मामलों की सुनवाई करते हुए अपने फैसले सुनाए. जिनमें दो मामले हत्या, दो मामले दुष्कर्म और एक एनडीपीएस एक्ट का है. बाराबंकी की पांच अदालतों ने 31 मार्च को अलग-अलग पांच मामलों में आरोपियों को दोषी करार दिया है. हत्या के दो मामलों के आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही एनडीपीएस के आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास, दुष्कर्म के दो मामलों जिनमें एक गैंगरेप का है के आरोपियों को 20-20 वर्ष की सजा और दूसरे मामले में सात वर्ष की सजा सुनाई गई.
हत्या का पहला मामला नगर कोतवाली क्षेत्र का है. 30 दिसम्बर 2007 को कृष्णानगर लखनऊ निवासी प्रदीप लालवानी पुत्र गंगाराम लालवानी द्वारा थाना कोतवाली नगर पर जगतपाल पासी पुत्र कालीचरण निवासी भागू खेड़ा थाना काकोरी जनपद लखनऊ के विरुद्ध अपने हेल्पर दद्दन की हत्या करने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिसके आधार पर आरोपी जगतपाल के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302 201 और 406 के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत कर तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन कर चार्जशीट दाखिल की गई थी. मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह प्रस्तुत किS. दोनों पक्षों की गवाही और तर्कों को सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश रवीन्द्र नाथ दुबे ने आरोपी जगतपाल को दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
दूसरा मामला भी नगर कोतवाली क्षेत्र का है. अभियोजन के मुताबिक दिनांक 26 अक्टूबर 2011 को वादी विपिन कुमार निवासी केवाड़ी थाना कोतवाली नगर द्वारा राकेश पुत्र रामपाल निवासी जुग्गौर थाना चिनहट और संदीप कुमार के विरुद्ध घर में घुसकर मारने पीटने, धमकी देने और उसके भाई की हत्या कर देने के संबंध में तहरीर दी गई थी. वादी की तहरीर के आधार पर नगर कोतवाली में आरोपियों के विरुद्ध धारा 302 ,307, 323, 452, 504, 506 आईपीसी और 3/5 विस्फोटक अधिनियम पंजीकृत किया गया. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करने के दौरान संदीप का नाम घटना में नहीं पाए जाने पर उसका नाम निकाल दिया. साथ ही बाबादीन पुत्र रामस्वरूप निवासी परेठिया थाना सतरिख का नाम प्रकाश में आया. लिहाजा विवेचना के बाद अभियुक्तगण राकेश और बाबादीन के विरुद्ध 302/34/323/452/504/506 आईपीसी के तहत चार्जशीट न्यायालय में फाइल की गई थी. दोनों पक्षों के गवाहों और तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 4 कमलकांत श्रीवास्तव ने आरोपियों को दोषी पाते हुए प्रत्येक को आजीवन कारावास और 32-32 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
एनडीपीएस मामला : वर्ष 2002 में हैदरगढ़ थाने की पुलिस ने अभियुक्त गण अनिल कुमार शुक्ला, राम कुमार शुक्ला पुत्रगण राधेश्याम शुक्ला निवासी ग्राम खरावां थाना शिवरतन गंज जनपद रायबरेली, मोहम्मद सलीम पुत्र रहीम बक्स और मोहम्मद नसीम पुत्र अय्युब निवासी गण ग्राम भिलवल थाना लोनी कटरा के कब्जे से 25 कुंतल 26 किलो पोस्ता छिलका बरामद किया था. जिसके आधार पर आरोपियों के विरुद्ध 8/15 एनडीपीएस एक्ट पंजीकृत किया गया था. तत्कालीन विवेचक द्वारा मामले की विवेचना करके चार्जशीट न्यायालय पर प्रेषित की थी. मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और तर्कों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट कोर्ट नंबर 10 ने अभियुक्त अनिल कुमार शुक्ला को दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया.
दुष्कर्म के मामले : दुष्कर्म का पहला मामला दरियाबाद थाना क्षेत्र से जुड़ा है. अभियोजन कथानक के अनुसार 16 दिसंबर 2008 को वादिनी के साथ विपक्षी द्वारा दुष्कर्म करने, गाली देने और धमकी देने के संबंध में श्रीकृष्ण यादव पुत्र मनीराम के विरुद्ध धारा 376, 323, 504, 506 आईपीसी और एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. विवेचना के बाद तत्कालीन विवेचक द्वारा मामले में चार्जशीट फाइल की गई थी. बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष द्वारा पेश की गई गवाही और उनके तर्कों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट ने आरोपी श्रीकृष्ण यादव पुत्र मनीराम को दोषी पाते हुए उसे सात वर्ष के कठोर कारावास और 55 सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
दूसरा मामला थाना रामनगर से संबंधित है. एडीजीसी क्रिमिनल अजय सिंह सिसोदिया ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि वादी ने 14 मई 2015 को अपनी नाबालिग पुत्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के संबंध में तहरीर दी थी. तहरीर के आधार पर लवकुश पुत्र पप्पू, पप्पू पुत्र राम आधार और कल्लू पुत्र भंजन के विरुद्ध धारा 376डी, 342 ,372, 506 आईपीसी और 3/4 पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले में विवेचक द्वारा वैज्ञानिक साक्ष्यों का प्रयोग करते हुए विवेचना की गई. विवेचना के बाद विवेचक ने चार्जशीट न्यायालय पर प्रेषित की. ट्रायल के दौरान आरोपी पप्पू की मृत्यु हो गई. इस मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नम्बर 45 अजय कुमार श्रीवास्तव ने आरोपियों लवकुश और कल्लू दोनों को गैंगरेप का दोषी पाया. लिहाजा दोनों आरोपियों को 20-20 वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक को 20-20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई.
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