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बाराबंकी के अधिवक्ताओं की मदद के लिए यूपी बार काउंसिल ने दिए 11 लाख 88 हजार रुपये - बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश

यूपी बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं की मदद करने के लिए कदम बढ़ाया है. बाराबंकी के अधिवक्ताओं की मदद के लिए बार काउंसिल ने 11 लाख 88 हजार रुपये की मदद की है.

अधिवक्ताओं की मदद के लिए बार काउंसिल ने दिए 11 लाख 88 हजार रुपये
अधिवक्ताओं की मदद के लिए बार काउंसिल ने दिए 11 लाख 88 हजार रुपये

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Published : Aug 20, 2020, 5:00 AM IST

बाराबंकी: कोरोना संकट का प्रभाव अधिवक्ताओं पर भी पड़ा है. वकीलों का काम खासा प्रभावित हुआ है. इस संकट की घड़ी में अधिवक्ताओं ने भी सरकार से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. लिहाजा बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने अपने अधिवक्ताओं की मदद करने का फैसला किया. बार काउंसिल ऑफ यूपी ने दस करोड़ अस्सी लाख रुपये सूबे के विभिन्न जिलों के बार एसोसिएशन को वहां के अधिवक्ताओं की संख्या के हिसाब से वितरित किए हैं. इस दौरान सरकार द्वारा कोई मदद न किए जाने से अधिवक्ताओं में खासी नाराजगी है.

बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने कोरोना संकट में प्रभावित हुए वकीलों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. बार काउंसिल ने सूबे के सभी जिलों में स्थित बार एसोसिएशन को दस करोड़ अस्सी लाख रुपये दिए हैं. बार काउंसिल के सदस्य अखिलेश अवस्थी ने बताया कि सूबे में वकीलों की संख्या को देखते हुए ये रकम नाकाफी है. लेकिन अपने अधिवक्ता भाइयों के मनोबल को बढ़ाने के लिए ये करना जरूरी था.

बाराबंकी जिले को 11 लाख 88 हजार 330 रुपये मिले हैं. जिले में 1921 पंजीकृत अधिवक्ता हैं. इस लिहाज से हर अधिवक्ता को 618 रुपये मिलेंगे. हालांकि बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं को ये मदद देने के लिए गाइडलाइंस जारी की है. इसके अलावा तमाम वकीलों से अपील की गई है कि अगर वे अपने ज्यादा जरूरतमंद साथियों के लिए अपना दावा छोड़ दें तो ये भला काम होगा.

अखिलेश अवस्थी ने बताया कि अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए अधिवक्ता कल्याण निधि है. ये निधि सरकार के अधीन रहती है. बार काउंसिल के लोग इसके सलाहकार होते हैं. बार काउंसिल ने और पूरे बार एसोसिएशन ने इस महामारी के दौर में अधिवक्ता कल्याण निधि से और सरकार द्वारा अपने स्तर से मदद के लिए सरकार से गुहार लगाई थी. लेकिन जब दोनों जगहों से सहयोग नहीं मिला तो बार काउंसिल ने अपने फंड से मदद की. सरकार द्वारा किसी प्रकार की मदद न किये जाने से अधिवक्ताओं में खासा आक्रोश है.

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