बाराबंकी: मुख्तार अंसारी एंबुलेंस मामले (mukhtar ansari ambulance case) में प्रभारी सेशन न्यायाधीश ने आरोपी राजनाथ यादव की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने माना कि जमानत के लिए कोई ठोस और न्यायोचित आधार नही हैं.
ये था मामला ?
31 मार्च को पंजाब की रोपड़ जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को जिस एंबुलेंस से मोहाली कोर्ट ले जाया गया था, उसका रजिस्ट्रेशन बाराबंकी से हुआ था. पड़ताल शुरू हुई तो ये रफीनगर मोहल्ले की किसी डॉ. अलका राय के नाम से पंजीकृत मिली. मौके पर पहुंची पुलिस को उस वोटर आईडी पर दर्ज नाम की महिला नहीं मिली थी. एआरटीओ कार्यालय में फर्जी आईडी का प्रयोग करके एंबुलेंस का पंजीकरण कराया गया था.
एआरटीओ ने दर्ज कराया था मुकदमा
एआरटीओ पंकज सिंह ने इस मामले में मऊ निवासी डॉ. अलका राय के खिलाफ नगर कोतवाली में क्राइम नम्बर 369/21 पर 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. उसके बाद एक एसआईटी टीम का भी गठन किया गया था. जांच करने मऊ गई पुलिस टीम की विवेचना के आधार पर श्याम संजीवनी अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की डॉ. अलका राय उनके सहयोगी डॉक्टर शेषनाथ राय, मुख्तार अंसारी, मुजाहिद, राजनाथ यादव व अन्य के नाम इस आपराधिक षड्यंत्र में कूट रचित दस्तावेज तैयार कराने में प्रकाश में आया था. इस मामले में विवेचना के आधार पर धारा 120 बी, 506, 177 आईपीसी और 07 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट ऐक्ट की बढ़ोतरी की गई थी.
तीन आरोपी भेजे जा चुके हैं जेल