बाराबंकीःजनपद मेंकरीब 9 वर्ष पूर्व दहेज के लिए अपनी पत्नी की मारपीट कर हत्या करने के मामले में बाराबंकी की अदालत ने पति को 7 वर्ष की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. जुर्माने की रकम अदा न करने पर दोषी पति को 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने सुनाया है.
फौजदारी के सहायक अभियोजन अधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने अभियोजन कथानक ने बताया कि सफदरगंज थाना क्षेत्र (Safdarganj police station area) के केवलापुर गांव के रहने वाले वादी रामरूप पुत्र मैकू ने अपनी बहन पूनम की शादी वर्ष 2011 में मसौली थाना क्षेत्र के बड़ागांव के रहने वाले अशोक कुमार पुत्र संतराम के साथ की थी. शादी के कुछ दिनों बाद से ही अशोक कुमार पूनम को दहेज के लिए मारता पीटता था. इसकी शिकायत पूनम ने कई बार अपने मायके में की थी. लेकिन मायके वालों ने समझा बुझाकर शांत करा दिया था. 18 दिसम्बर 2013 को 8 बजे सुबह अशोक ने फोन करके रामरूप को बताया कि उसकी बहन की मौत हो गई है. यह सुनकर रामरूप और उसका परिवार बड़ागांव बहन के घर पहुंचा. वहां उसकी बहन घर मे बेहोश पड़ी थी. उसके शरीर पर कई जगह गंभीर चोट के निशान थे. वहीं, अशोक और उसके घर वाले फरार थे. रामरूप बेहोशी की हालत में बहन को लेकर मसौली थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया.
बाराबंकी में दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले पति को 7 साल कैद - दहेज हत्या के दोषी पति
बाराबंकी जनपद के अपर सत्र न्यायाधीश (Barabanki Additional Sessions Judge) ने पत्नी की मारपीट कर हत्या करने के मामले में पति को 7 वर्ष की कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है.
पुलिस ने तत्काल घायल पूनम को जिला अस्पताल पहुंचाया. जहां हालत नाजुक देख डॉक्टरों ने उसे बलरामपुर अस्पताल लखनऊ रेफर कर दिया. जहां इलाज के दौरान पूनम की 23 दिसम्बर 2013 को मौत हो गई. पुलिस ने अशोक कुमार के विरुद्ध धारा 498ए, 304 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीकों से साक्ष्य संकलन करते हुए विवेचना के बाद अशोक कुमार के खिलाफ चार्जशीट फाइल की. इस मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दलीलों को सुनकर अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने अशोक कुमार को दोषी मानते हुए 7 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुना दी.
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