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गधे पर नगर पालिका अध्यक्ष का पोस्टर लगाकर वार्ड सदस्यों ने किया प्रदर्शन

बांदा में नगर पालिका के सभासदों ने नगर पालिका के अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए जोरदार धरना प्रदर्शन किया. सभासदों का कहना है कि नगर पालिका अध्यक्ष सिर्फ अपनी मनमानी करने पर उतारू हैं. जानिए पूरा मामला-

गधे पर अध्यक्ष का पोस्टर लगाकर प्रदर्शन.
गधे पर अध्यक्ष का पोस्टर लगाकर प्रदर्शन.

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Published : Dec 13, 2020, 2:38 PM IST

बांदा:शहर में शनिवार (12 दिसंबर) को नगर पालिका के सभासदों ने नगर पालिका के अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए जोरदार धरना प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान जहां सभासदों ने एक भैंस के सामने बीन बजा कर अपना विरोध जताया, वहीं एक गधे पर अध्यक्ष का पोस्टर लगाकर शहर में घुमाया. सभासदों का आरोप है कि नगर पालिका के अध्यक्ष ने 3 साल में अभी तक किसी भी तरह का कोई विकास कार्य शहर में नहीं किया है, वह सिर्फ मनमानी करते हैं. उन्होंने बिना टेंडर के ही अपने चहेतों को काम दिया है व खुद का विकास किया है.

नगर पालिका के सभासदों ने किया प्रदर्शन.

गधे पर अध्यक्ष का पोस्टर लगाकर शहर में घुमाया
शनिवार को नगर पालिका परिषद बांदा के सभासद नगर पालिका कार्यालय पहुंचे. जहां पर गांधी पार्क से इन्होंने अध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत की. इस दौरान सभासदों ने एक गधे पर अध्यक्ष मोहन साहू का पोस्टर बांधा और फिर वहां से प्रदर्शन करते हुए शहर के कई इलाकों का भ्रमण किया और नगर पालिका अध्यक्ष मोहन साहू के विरोध में जमकर नारेबाजी की.

अध्यक्ष ने 3 साल में नहीं किया कोई विकास
सभासद अब्दुल रज्जाक ने बताया कि 3 साल का समय बीतने के बाद भी नगर पालिका अध्यक्ष मोहन साहू ने शहर के सभी 31 वार्डों में किसी भी तरह का विकास का कार्य नहीं कराया है. जो भी काम उनसे करने को कहा जाता है, वह कार्य वे अपने सजातीय लोगों को ही देते हैं. यही नहीं इस समय उनका घर का निर्माण हो रहा है, जिसमें उन्होंने नगर पालिका के कर्मचारियों को लगा रखा है, जो गलत है. इस संबंध में शासन-प्रशासन से भी शिकायत की गई है. मामले की जांच भी चल रही है.

वहीं सभासद राजेन्द्र बाल्मीकि ने बताया कि नगर पालिका के अध्यक्ष यहां कार्यालय में नहीं आते हैं. उन्होंने अपने घर को ही कार्यालय बना लिया है. सरकारी अभिलेखों को भी अपने घर में रख दिए हैं, जिसका विरोध हो रहा है. नगर पालिका अध्यक्ष सिर्फ यहां पर अपनी मनमानी करने पर उतारू हैं. सफाई कर्मियों के लिए शासन से 300 रुपये आता है, मगर वह 250 रुपये भुगतान करते हैं. वह भी समय से नहीं देते.

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