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राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना से बुंदेलखंड के पशुपालकों को होगा फायदा - cattle rearers of bundelkhand

बुंदेलखंड में राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत गायों की नस्लों को सुधारने का काम किया जा रहा है. इससे पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन में अच्छा मुनाफा मिलेगा.

आवारा गायें.
आवारा गायें.

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Published : Sep 27, 2020, 11:32 AM IST

बुंदेलखंड:क्षेत्र के पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन कर अच्छा मुनाफा मिले, इसको लेकर राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत गायों की नस्लों को सुधारने का काम किया जा रहा है. जहां प्रत्येक ग्राम पंचायत से 100-100 गायों का चयन कर नस्लों को सुधारने का काम पशुपालन विभाग कर रहा है. उम्मीद है कि आने वाले समय में नस्ल सुधार के बाद इन गायों से पशुपालकों को अच्छा दूध का उत्पादन मिलेगा.

भारत सरकार द्वारा गायों की नस्लों को सुधारने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें कृतिम गर्भाधान के माध्यम से गायों की नसों का सुधार किया जाएगा. दरअसल, बुंदेलखंड में पशुपालक ज्यादातर देसी गायों की नस्लों को पालते हैं. लेकिन उनमें इन्हें अच्छे दूध का उत्पादन नहीं मिल पाता. जिसके चलते पशुपालक इन गायों को आवारा छोड़ देते हैं. इसी के चलते यहां पर जिले में हजारों की तादाद में आवारा गाय घूम रही हैं. ऐसे में सरकार गायों की नस्लों को सुधारने के लिए यह कार्यक्रम चला रही है. जिससे इन आवारा घूमने वाली गायों की नस्लों का सुधार हो. साथ ही पशुपालक इन गायों से अच्छे दूध का उत्पादन कर सकें. इससे आवारा सड़कों में घूमने वाली गायों की संख्या में भी कमी आएगी.

बुंदेलखंड में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. मनोज अवस्थी ने बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना भारत सरकार द्वारा संचालित एक योजना है. जिसके अंतर्गत प्रत्येक जिले के प्रत्येक गांव में 100 गायों का चयन किया जाना है. जिसमें इन गायों का नि:शुल्क कृतिम गर्भाधान किया जाएगा और उनकी नस्लों को सुधारा जाएगा.

इससे बुंदेलखंड के पशुपालकों को बहुत फायदा होगा. यहां पर पशुपालक ज्यादातर स्थानीय नस्ल की गायों को पालते हैं. लेकिन उनसे उन्हें अच्छा दूध उत्पादन नहीं मिल पाता. जिले में पशुपालकों के लिए नस्लों के सुधार के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें पशुपालन विभाग के कर्मचारी प्रत्येक गांव में 100 गायों का चयन करने में जुट गए हैं. नजदीकी अस्पताल में ले जाकर इन गायों का कृत्रिम गर्भाधान करेंगे. इस कार्य का प्रथम चरण जून में खत्म हो गया है. दूसरा चरण अगस्त में चालू हुआ है, जो अगले 10 महीने तक चलेगा.

डॉ. मनोज अवस्थी, उप निदेशक पशुपालन विभाग

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