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बांदा: उद्योग विभाग का पूर्व डिप्टी कमिश्नर भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ गिरफ्तार

बांदा में पूर्व सहायक आयुक्त (उद्योग) सर्वेश कुमार दीक्षित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पूर्व डिप्टी कमिश्नर पर आरोप है कि उद्योग विभाग में रहते हुए इन्होंने अपने कार्य क्षेत्र से हटकर गलत तरीके से विभागीय कार्य कर भ्रष्टाचार किए हैं. वहीं गिरफ्तार किए गए पूर्व डिप्टी कमिश्नर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मुझ पर जो आरोप लगाए गए थे वह निराधार है. माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने मुझे क्लीन चिट दी है.

उद्योग विभाग का पूर्व डिप्टी कमिश्नर भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ गिरफ्तार
उद्योग विभाग का पूर्व डिप्टी कमिश्नर भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ गिरफ्तार

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Published : Aug 31, 2021, 9:38 PM IST

बांदा: जिले में उद्योग विभाग में कार्यरत रहे पूर्व डिप्टी कमिश्नर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पूर्व डिप्टी कमिश्नर पर आरोप है कि उद्योग विभाग में रहते हुए इन्होंने अपने कार्य क्षेत्र से हटकर गलत तरीके से विभागीय कार्य कर भ्रष्टाचार किए. जिसको लेकर इनके खिलाफ हुई शिकायतों के बाद जांच में यह दोषी पाए गए हैं और उसी जांच के क्रम में इन्हें गिरफ्तार किया गया है. वहीं गिरफ्तार किए गए पूर्व डिप्टी कमिश्नर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मुझ पर जो आरोप लगाए गए थे, उसको लेकर माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने मुझे क्लीन चिट दी है. लेकिन बांदा के सदर विधायक के दबाव में आकर मेरे ऊपर यह कार्रवाई यहां की जा रही है. क्योंकि मेरे यहां कार्यरत रहते हुए सदर विधायक द्वारा कई गलत कामों को कराने के लिए मुझ पर दबाव बनाया गया था. जिसको मैंने मना कर दिया था. और इसी खुन्नस के चलते उन्होंने मेरी शिकायत थी और उन्हीं के दबाव में आकर मुझे गिरफ्तार किया जा रहा है.

2018 के कार्यरत रहने के दैरान हुईं थीं शिकायतें
बांदा के जिला उद्योग कार्यालय में 2018 में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात रहे सर्वेश दीक्षित को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. 2018 में इनके यहां तैनात रहते हुए इन पर उद्योग विभाग की जमीनों की गलत तरीके से बिक्री करने व भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कई शिकायतें शासन और प्रशासन में की गई थी. जिसको लेकर पहले इनका बांदा से स्थानांतरण कर दिया गया था. इसके बाद इन्हें सेवाओ से बर्खास्त कर दिया गया था. जिसके बाद सर्वेश दीक्षित ने न्यायालय की शरण ली थी और वहां पर इनका तब से मामला विचाराधीन था. हालांकि सर्वेश दीक्षित का दावा है कि माननीय उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त किया है और इसकी सर्टिफाइफ कॉपी नम्बर 1016 इनके पास है.

उद्योग विभाग का पूर्व डिप्टी कमिश्नर भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ गिरफ्तार

सदर विधायक ने गलत काम न करने पर मारा था जूता
पूरे प्रकरण को लेकर जब गिरफ्तार किए गए उद्योग विभाग के पूर्व डिप्टी कमिश्नर सर्वेश दीक्षित से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रकरण में सदर विधायक बांदा प्रकाश द्विवेदी का हाथ है. मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए गए थे उसको लेकर माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने 9 अगस्त 2021 को मुझे बरी कर दिया था. इसके बावजूद सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी द्वारा षड्यंत्र रच मेरी गिरफ्तारी करवाई गई है. 1610 रिट संख्या में मेरे मामले को देखा भी जा सकता है. सर्वेश दीक्षित ने बताया कि जब मैं बांदा में कार्य कर रहा था तब उन्होंने शहर के जीआईसी मैदान के स्थित अपने आवास पर मुझे बुलाया और एक व्यक्ति लालवानी का प्लॉट उन्होंने एक बीजेपी के नेता संतोष गुप्ता को देने के लिए कहा था. जिसको लेकर मैंने उन्हें यह कहकर मना कर दिया था कि यह मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं है. जिसके बाद उन्होंने अपने आवास पर ही मुझे जूता फेंक कर मारा था. जिसको लेकर मैंने अपने उच्चाधिकारियों को इस घटना की जानकारी भी दी थी. इसके बाद कुछ दिन रहने के बाद में छुट्टी पर चला गया और मैंने अपना ट्रांसफर करा लिया था. लेकिन इसके बावजूद प्रकाश द्विवेदी मेरे पीछे पड़े रहे और मेरे खिलाफ इन्होंने 56 बार पत्राचार किया.

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वित्त व प्रशासनिक पावर नहीं थी मेरे पास
गिरफ्तार किए गए पूर्व डिप्टी कमिश्नर सर्वे दीक्षित ने यह भी बताया कि बांदा में मेरी तैनाती के दौरान मैं कभी भी वित्त अधिकारी नहीं रहा. इसलिए मैं कभी वित्त का गबन नहीं कर सकता. न ही मैं कभी कार्यालय अध्यक्ष रहा तो मैं कोई आदेश भी जारी नहीं कर सकता. इसके बावजूद मुझे फर्जी तरीके से अपराधी बना दिया गया है. अभी भी मुझे माननीय उच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है कि जिस तरह उन्होंने पहले मुझे न्याय दिया और आगे भी मुझे वहां न्याय मिलेगा.

गलत ढंग से जमीनों को विक्रय करने के आरोप में गिरफ्तार
पूरे मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने बताया कि उद्योग विभाग में कार्यरत रहे पूर्व डिप्टी कमिश्नर पर पहले एक मुकदमा पंजीकृत था, जिसमें उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए गलत तरीके से जमीनों का विक्रय किया था. इस संबंध में एक जांच हुई थी और उसी जांच के क्रम में एक मुकदमा भी पंजीकृत किया गया था और उसमें विवेचना के बाद इन्हें दोषी पाते हुए इन्हें हिरासत में लेते हुए जेल भेजा जा रहा है.

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