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ऑर्गेनिक फार्मिंग के मुफीद है बुंदेलखंड, खनिज संपदा को लूट नेताओं ने बढ़ाई बेरोजगारी: टिकैत - बुंदेलखंड की खनिज संपदा

किसान नेता राकेश टिकैत (rakesh tikait) रविवार को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बांदा पहुंचे. उन्हें हमीरपुर के मौदहा कस्बे में प्रस्तावित किसान महापंचायत में हिस्सा लेना है.

बांदा पहुंचे राकेश टिकैत
बांदा पहुंचे राकेश टिकैत

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Published : Sep 12, 2021, 4:43 PM IST

बांदा: भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan union) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत (rakesh tikait) रविवार को बांदा पहुंचे. बांदा (Banda Railway station) रेलवे स्टेशन पहुंचने पर भाकियू(BKU) के लोगों ने फूल मालाओं से उनका जोरदार स्वागत किया. वहीं, राकेश टिकैत अपने व्यक्तिगत कार्यक्रम को लेकर अपने यूनियन के कार्यकर्ताओं के घर भी पहुंचे. राकेश टिकैत ने कहा कि अगर, बुंदेलखंड की खनिज संपदा (Mineral wealth of Bundelkhand) का 80 फीसदी हिस्सा यहां के विकास कार्य में लगा दिया जाए तो यह क्षेत्र खुशहाल हो जाएगा. इसके अलावा अगर इस क्षेत्र को ऑर्गेनिक फार्मिंग (organic farming) का स्टेट बना दिया जाए तो यहां का तेजी से विकास हो जाएगा. मगर, यहां नेताओं और अधिकारियों ने सिर्फ खनिज संपदा को लूटने का काम किया है. वहीं राकेश टिकैत ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि क्या सरकार के घोषणा पत्र में प्राइवेटाइजेशन (privatization) था. क्योंकि यह सरकार हर चीज को सस्ते दामों में बेचने का काम कर रही है और बड़ी-बड़ी कंपनियों व पूंजीपतियों को यह देश सौंप रही है.

राकेश टिकैत ने कहा कि बुंदेलखंड (Bundelkhand) में अब हमारे आने की शुरुआत हुई है. बांदा में राकेश टिकैत ने कहा कि बुंदेलखंड का किसान आत्महत्या (farmer suicide) कर रहा है. बुंदेलखंड के किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है. किसान संगठन की सरकार से जो मांग है, उसमें पूरे देश के किसानों का हित है. लिहाजा, तीनों कृषि कानूनों को हटाया जाए. एमएसपी रेट (MSP Rate) की गारंटी तय की जाए. सरकार जिस तरह से तमाम सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है, उसको रोका जाए. निजीकरण करने से बेरोजगारी (Unemployment) बढ़ेगी. बुंदेलखंड का युवा पहले से ही बेरोजगार है. यहां का युवा दिल्ली और सूरत जाकर कमाने को मजबूर है. सरकार निजीकरण नहीं रुकेगी तो बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ेगी. बड़ा व्यापारी किसान से सस्ते दामों पर माल लेकर एमएसपी पर बेचता है. यहां के किसान को लगातार ठगा जा रहा है. इन्हीं सब बड़े मुद्दे और तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws) की वापसी के लिए हम पिछले 10 महीनों से आंदोलन चला रहे हैं.

बांदा में राकेश टिकैत
राकेश टिकैत से सवाल किया गया कि उन पर आरोप है कि जहां पर चुनाव होता है राकेश टिकैत वहीं पहुंच जाते हैं. इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि जिस रंग के चश्मे से आप देखेंगे, आपको वही रंग नजर आएगा. मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या मोदी सरकार के घोषणा पत्र में प्राइवेटाइजेशन था. आज रेलवे, एयरपोर्ट, एलआईसी और पेट्रोलियम सभी को बेचने का काम किया जा रहा है. अगर, पूरे देश में देखा जाए तो जो भी बड़ी संस्थाएं थी. उनको बड़ी कंपनियों को सस्ते दामों में बेचने का काम किया जा रहा है. यानी कि यह देश पूंजीपतियों के हाथों में जा रहा है. इसके लिए नौजवानों को खड़ा होना पड़ेगा.ऑर्गेनिक फार्मिंग की है यहां संभावनाएं-टिकैतराकेश टिकैत ने कहा कि यहां पर ऑर्गेनिक फार्मिंग की भी संभावनाएं हैं, जिसको लेकर हम ने भारत सरकार से कहा था कि बुंदेलखंड को ऑर्गेनिक फार्मिंग का स्टेट बनाया जाए और यहां की जो अनाज व दाले हैं उसको एक अच्छा बाजार मिल सके. क्योंकि यहां के अनाज की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत मांग है. अगर, ऐसा किया जाए तो यह इलाका संपन्न हो जाएगा. वही बुंदेलखंड के पिछड़े होने को लेकर राकेश टिकैत ने बताया कि यहां पर एमएसपी नहीं मिलती और यहां का किसान कमजोर है. यहां वह बड़े उद्योगपतियों के चंगुल में फंसा हुआ है. यहां के किसानों को अगर, एक अच्छा मार्केट मिल जाए और अगर उसे एमएसपी की गारंटी मिल जाए तो बुंदेलखंड के किसानों को लाभ हो जाएगा. राकेश टिकैत ने बताया बुंदेलखंड में खनिज संपदा बड़ी मात्रा में है. फिर, भी यहां के लोग गरीब हैं. इसलिए, अगर खनिज संपदा का 80 फीसदी हिस्सा यहीं के विकास में खर्च किया जाए तो यह बुंदेलखंड सोने की चिड़िया बन जाएगा. अभी यहां के लोग भुखमरी और बेरोजगारी से परेशान हैं. वहीं अन्ना प्रथा से भी किसान बहुत परेशान हैं.

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टिकैत के अनुसार अगर, बुंदेलखंड ऑर्गेनिक बोर्ड बन जाए और यहां का पूरा का पूरा उत्पादन बाहर जाए, जिसकी एक बड़ी मार्केट है तो उसे यहां का लाभ हो सकता है. विलेज टूरिज्म पॉलिसी पर भी अगर काम हो तो लाभ मिल सकता है. क्योंकि यहां पर टूरिज्म के भी बहुत सारी क्षेत्र हैं जो अपने साथ इतिहास को समेटे हुए है. मगर, इन कार्यों को करने के बजाय यहां पर नेताओं और अधिकारियों ने सिर्फ खनन संपदा को लूटने का काम किया है.

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राकेश टिकैत ने कहा कि हर हर महादेव या अल्लाह हू अकबर का नारा लगाने पर क्या पाबंदी है. हमें यह अधिकार हमारे संविधान ने दिया है. देश का कोई भी व्यक्ति जिस विधि से चाहे पूजा पद्धति को अपना सकता है. किसी पर पाबंदी नहीं लगानी चाहिए. वहीं, सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि मुझे सोशल मीडिया की सही से समझ नहीं है. हजारों लोग सोशल मीडिया पर हमें गाली-गलौज देते हैं. इन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी प्रदेश के लिए नहीं है बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए है. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती वह इसी तरह देश के हर कोने में घूम-घूम कर किसानों और युवाओं को जागरूक करते रहेंगे.

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