बांदा: महाशिवरात्रि के मौके पर बुंदेलखंड के बांदा में भी शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. यहां पर भक्त अपनी मनोकामना को पूरा करने को लेकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. सुबह से ही यहां हजारों की संख्या में भक्त लाइन में खड़े होकर बारी-बारी से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. बांदा के प्राचीन बामदेवेश्वर मंदिर और कालिंजर स्थित नीलकंठ मंदिर में भक्तों का हुजूम उमड़ा है.
बांदा: बामदेवेश्वर मंदिर में लगा भक्तों का तांता
उत्तर प्रदेश के बांदा में बाम्बेश्वर पर्वत पर स्थित भगवान शिव के बामदेवेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के पर्व पर दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी. मान्यता के अनुसार विष पीने के बाद शिव जी ने यहीं आकर अपने गले की आग को शांत किया था.
बामदेवेश्वर मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन है, जिसे किसी ने भी नहीं बनाया और यहां पर भगवान राम ने भी अपने वनवास काल के दौरान पूजा अर्चना की थी. वहीं नीलकंठ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि कालकूट विष का पान करने के बाद भगवान शिव यहीं पर आए थे और यहां आकर उन्होंने अपने गले की आग को ठंडा किया था.
बाम्बेश्वर पर्वत पर स्थित है भगवान शिव का मंदिर
बता दें कि बांदा शहर में बाम्बेश्वर पर्वत पर स्थित भगवान शिव का बामदेवेश्वर मंदिर है, जो अति प्राचीन है. बताया जाता है कि यहां पर जो शिवलिंग स्थापित है उसकी स्थापना महर्षि बामदेव ने की थी. मगर इस मंदिर का निर्माण किसी ने नहीं कराया था. गुफा के अंदर स्थित यह मंदिर स्वतः बना हुआ है, जो बहुत प्राचीन है. यहां पर भक्ता सुबह से भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
इस मंदिर की विशेषता यह है कि बताया जाता है कि कालकूट विष को पीने के बाद भगवान शिव इसी गुफा में आए थे और यहां पर उन्होंने अपने गले की आग को ठंडा किया था. यहां पर स्थित शिवलिंग की यह विशेषता है कि इसमें साल के 12 महीने गले से पसीने के रूप में पानी टपकता रहता है.
शिव भक्तों ने बताया कि महाशिवरात्रि के मौके पर वे भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि भगवान शिव को अगर सच्चे मन से याद किया जाए तो वह सबकी मनोकामना को पूरा करते हैं. हजारों की संख्या में शिवभक्त यहां पहुंचे हुए हैं, जो अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान शंकर की पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
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