बलरामपुरः जिले में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर बलरामपुर विधायक पलटूराम ने शिरकत की. कार्यक्रम में सीएमओ सहित तमाम सीएचसी प्रभारी और सीएचओ मौजूद रहे. कार्यक्रम में अपने जीवन को चिंतामुक्त रहते हुए कार्य करने, समय पर आराम करने, चिड़चिड़ेपन से बचने और मानसिक रोग के शुरुआती लक्षणों पर चर्चा की गई. साथ ही निःशुल्क काउंसलिंग और दवा वितरण की व्यवस्था भी की गई.
क्यों मनाया जाता है मानसिक स्वास्थ्य दिवस
हर साल 10 अक्टूबर का दिन दुनिया भर में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन इसलिए मनाया जाता है, ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके. मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने इस दिन की शुरुआत 10 अक्तूबर 1992 को की थी.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार 1992 में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था. इसके बाद साल 1994 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव के बाद विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की गई, जो अब तक जारी है.
सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया कि आज के दिन को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है कि जो हमारे समाज में मानसिक रूप से पीड़ित हैं. कुछ तो नोन हैं, कुछ अननोन हैं या बीमारी और अवसाद से ग्रस्त हैं. ऐसे लोग अक्सर हमारी दुर्भावना का शिकार हो जाते हैं. हम सोचते हैं कि वो झगड़ालू हैं, मारपीट करता है, ऐसे व्यक्ति को हमारी दया की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि जो लोग इस प्रवृत्ति के हो जाते हैं, हमें उसके परिवार को साथ लेकर उनकी काउंसलिंग करने की आवश्यकता है, न कि उन्हें छोड़ देने की. हमें उसकी काउंसलिंग करके मनोचिकित्सक से उसका इलाज कराना चाहिए. वह हमारी दवा और दुआ दोनों का पात्र है.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे सदर विधायक पलटूराम ने कहा कि सरकार बलरामपुर जैसे आकांक्षी जिले में सभी तरह की मूल सुविधाओं पर ध्यान दे रही है. यहां की स्वास्थ्य सेवाओं को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मानसिक रोगियों को हम कभी मेंटल, तो कभी पागल कहकर बुलाते हैं, लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए. सभी तरह के मानसिक रोगियों को लक्षण दिखने के साथ ही उपचार की जरूरत है. अगर उन्हें सही उपचार मिले तो वह भी सामान्य जीवन में लौट सकते हैं. वह भी हमारी व आपकी तरह से ही ज़िन्दगी बिताने के अधिकारी हैं. इसलिए सरकार इस तरह के रोगियों पर ध्यान दे रही है.