बलरामपुर: उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही तेज बारिश ने भारी तबाही मचाई है. भारी बारिश के कारण जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं बलरामपुर जिले के तुलसीपुर ब्लॉक के महाराजगंज तराई में हर साल खरझार पहाड़ी नाला हजारों जिंदगियों को प्रभावित करता है. बाढ़ के चरम के समय यह पूरा इलाका जिला मुख्यालय या तहसील मुख्यालय से पूरी तरह कट जाता है. इस बाढ़ से तकरीबन 17 गांव विशेष तौर पर प्रभावित होते हैं और ये सब टापू में तब्दील हो जाते हैं.
ग्रामीणों को ना तो बेहतर फ्लड कण्ट्रोल सिस्टम मिल सका और ना ही अच्छे डिजाइन के बांध जो नेपाल से बहकर आने वाले पहाड़ी नालों की तबाही को रोक सके. हालांकि खरझार पहाड़ी नाले से हर बार आने वाली बाढ़ को रोकने के लिए ऐसा नहीं है जिला प्रशासन ने कोई प्रयास नहीं किया. जिले के नेताओं व प्रशासन के प्रयास से अभी हाल के वर्षों में तकरीबन आधा किलो मीटर लंबा एक बांध बनवाया गया है. जिसका डिजाइन गलत होने के कारण ग्रमीणों को कोई फायदा नहीं मिल सकता है.
गलत तरीके से बने बांध ने बढ़ाई परेशानी
इस बांध ने नाले की पूरी दिशा को मोड़ दिया. जिस तरफ धारा थी उस तरफ कर्मियों ने बांध ना बांधकर दूसरी तरफ बांध दिया. जिसके कारण वह खेतों को तबाह करते हुए बड़े पैमाने पर कटान करने लगा. गावों को जाने का रास्ता बंद हो गया. अब किसानों के खेत नाले के सिल्ट से पट गए हैं. यहां कुछ भी पैदा नहीं हो सकता. इसके साथ ही यहां बाढ़ के कारण जहरीले जानवर भी ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण हैं. बाढ़ के कारण होने वाली तबाही से अपने दर्द को बयां करते हुए राजेश कुमार मिश्रा बताते हैं कि पिछले दिनों बाढ़ के कारण उनके पिता को एक जहरीले सांप ने काट लिया और वह उन्हें अस्पताल नहीं पहुंचा सके. जिस कारण उनकी मौत हो गई.