बलरामपुर: कानपुर के बिकरू गांव में डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्र समेत 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला विकास दुबे पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा जा चुका है. मौत के कई दिन बीत जाने के बाद भी 60 संगीन मामलों के मुकदमों में वांछित रहे हिस्ट्रीशीटर के बारे में आज भी खुलासे होने जारी हैं. यूपी के बलरामपुर में न्यायालय समन सेल में तैनात सिपाही देवेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि 10 जुलाई को एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे की रंजिश शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा से नहीं, बल्कि उनके साथ थी. उन्होंने ही विकास पर 22 साल पहले गोली चलाई थी, जो मिस हो गई थी.
1998 में भाजपा नेता ने की थी विकास की मुखबिरी
देवेंद्र प्रताप सिंह दिसंबर 1998 में हुई घटना के बारे में बताते हैं कि उन दिनों हरिमोहन सिंह एसएचओ के साथ स्पेशल स्क्वॉड में उनकी तैनाती कानपुर नगर के कल्याणपुर थाने में थी. भाजपा नेता संतोष शुक्ल (जो बाद में राज्यमंत्री हुए) से सूचना मिली कि शातिर अपराधी विकास दुबे किसी वारदात को अंजाम देने के लिए निकला है. सूचना मिलते ही तत्कालीन एसएचओ हरिमोहन सिंह ने विकास दुबे को रोकने के लिए थाने के सामने बैरिकेड लगाकर देवेंद्र समेत दो सिपाहियों को बैरीकेड से 15 मीटर आगे तैनात कर दिया.
पुलिस की बंदूक ने दे दिया धोखा
घटना को याद करते हुए देवेंद्र बताते हैं कि मुझे पता था कि यह शातिर किस्म का अपराधी है. इस वजह से बैरिकेडिंग के पास आता देख हम लोग ज्यादा सजग हो गए थे. बैरिकेडिंग के पास बुलेट से आता देख एसएचओ हरिमोहन सिंह ने जब उसको हाथ देकर रोकने का प्रयास किया तो वह फायरिंग करते हुए आगे बढ़ने लगा. इसी दौरान उसने अपनी बुलेट को हरिमोहन सिंह पर चढ़ा दी. इसके बाद देवेंद्र सिंह ने अपने हमराही संजय सिंह के साथ भागने का प्रयास कर रहे विकास का बाइक से पीछाकिया. देवेंद्र सिंह बताते हैं कि विकास बाइक पर पीछे बैठा था. उसने गोली चलाई और वह मेरे कान को छूकर निकल गई. इसके बाद मैने उस पर फायर करने की कोशिश की, जो मिस हो गई. इसी बीच विकास की बुलेट गिर गई और वो दबोच लिया गया.