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UP Election 2022: बलरामपुर की गैंसड़ी विधानसभा का जानिए चुनावी गणित

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर पूरे प्रदेश के साथ बलरामपुर जिले में भी सियासत तेज हो गई है और नेता मतदाताओं को रिझाना शुरू कर दिया. आइये जानते हैं बलरामपुर जिले की गैंसड़ी विधानसभा सीट(Gainsari Assembly Seat) में चुनावी समीकरण क्या है.

गैंसड़ी विधानसभा
गैंसड़ी विधानसभा

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Published : Oct 17, 2021, 2:15 PM IST

बलरामपुर:भारत-नेपाल सीमा के बीच बसा हुआ गैंसड़ी विधानसभा क्षेत्र(Gainsari Assembly Seat) अपनी क्षेत्रीय अलौकिकता, जंगल, पहाड़ और नालों के लिए जाना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति थारू आबादी बड़ी मात्रा में निवास करती है. करीब 40 गांव थारू बाहुल्यता वाले हैं. इसके साथ ही मुस्लिम, यादव, ब्राह्मण और ठाकुर बड़ी संख्या में मतदान करते हुए निर्णायक भूमिका निभाते हैं. पिछली बार के चुनावों में भाजपा के शैलेश सिंह शैलू ने यहां से जीत हासिल की थी. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के अलाउद्दीन खान को हराया था.

सपा के प्रत्याशी और पेशे से प्रोफेसर रहे डॉ शिव प्रताप यादव तीसरे स्थान पर थे. जबकि अनुराग यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकते हुए 27 हजार से अधिक वोट हासिल किया था, लेकिन 2022 का चुनाव दिलचस्प होता नजर आ रहा है. यहां पर सपा और भाजपा के बीच मुख्य लड़ाई होती नजर आ रही है. शैलू सिंह जहां एक बार फिर यही से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं. वहीं, सपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले डॉ शिव प्रताप यादव पिछली बार की गलती से सीख लेते हुए गुणा-गणित करने में जुटे हुए हैं. वहीं, कांग्रेस से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य डॉ इश्तियाक अहमद खान भी चुनावी मैदान में खुद को स्थापित करने में जुटे हुए हैं.

गैंसड़ी विधानसभा सीट चुनावी गणित

क्या है इस सीट का इतिहास

कभी कांग्रेस और जनसंघ का गढ़ काहे जाने वाले गैंसड़ी (292) विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने समाजवादी पार्टी और भाजपा के उम्मीदवारों को भी सदन भेजा. राम मंदिर आंदोलन में जब भाजपा बेहतर स्थिति पर थी, तब यहां के लोगों ने बिंदुलाल गुप्ता को चार बार विधायक बनाकर सदन भेजा. वहीं, सपा के डॉ एसपी यादव बार विधायक रह चुके हैं. जबकि बसपा के उम्मीदवार अलाउद्दीन खान ने भी एक बार यहां से जीत हासिल की है.

जीते उम्मीदवारों की साल वार डिटेल

चुनाव प्रत्याशी पार्टी
1952 बलभद्र प्रसाद कांग्रेस
1957 धर्मपाल कांग्रेस
1962 सरदार बलदेव सिंह जनसंघ
1967 सरदार बलदेव सिंह जनसंघ
1969 विजय पाल सिंह जनसंघ
1974 विजय पाल सिंह जनसंघ
1977 बिंदु लाल गुप्ता जनता पार्टी
1980 इकबाल हुसैन यू कांग्रेस
1985 अरुण प्रताप सिंह कांग्रेस
1989 इकबाल हुसैन कांग्रेस
1991 बिंदु लाल गुप्ता भाजपा
1993 डॉ एसपी यादव सपा
1996 बिंदु लाल गुप्ता भाजपा
1998 बिंदुलाल गुप्ता भाजपा
2207 अलाउद्दीन खान बसपा
2012 डॉ एसपी यादव सपा
2017 शैलेश प्रताप सिंह 'शैलू' भाजपा


2017 के चुनाव पर एक नजर
गैंसड़ी विधानसभा(Gainsri Assembly Seat) के बारे में कहा जाता है कि जो थारु, मुस्लिम, यादव और ब्राह्मणों वोटों को साध लेता है वह यहां से विधायक बनकर सदन में पहुंच जाता है. पिछली बार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भी कुछ ऐसा ही किया था. दो यादवों की लड़ाई में भाजपा-बसपा को फायदा हुआ और दोनों यादव तीसरे और चौथे नंबर पर रहे.

विगत चुनाव में भाजपा से शैलेश कुमार सिंह शैलू ने यहां से जीत हासिल की थी. उन्हें 55,716 मत प्राप्त हुए थे जबकि बसपा के अल्लाउद्दीन खान को 53,413 मत प्राप्त हुए थे. इस पर शैलू सिंह महज 2303 मतों से जीत हासिल कर पाए थे. जिले के यही एकलौते ऐसे उम्मीदवार जिन्हें इतने कम मार्जिन से जीत मिली थी.

वहीं, सपा के डॉ शिव प्रताप यादव को 46,378 मत प्राप्त हुए थे. वह तीसरे स्थान पर थे. जबकि चौथे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में जंग लड़ रहे डॉ अनुराग यादव को 27,652 मत प्राप्त हुए थे. कहा जाता है कि अगर अनुराग यादव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव न लड़ते तो यहां से सपा सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रह चुके डॉ शिव प्रताप यादव की जीत पक्की थी.

मतदाताओं का गणित

गैंसड़ी विधानसभा(Gainsri Assembly Seat) में कुल 6,26,937 अनुमानित आबादी है. जबकि यहां 3,26,455 पुरुष और 3,00,482 महिलाएं निवास करती हैं. कुल मतदाताओं की संख्या 3,54,635 है. जबकि 1,92,115 पुरुष मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं. वहीं, 1,62,498 महिलाओं को मताधिकार का अधिकार मिला हुआ है. इस विधानसभा क्षेत्र में 22 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.

गैंसड़ी विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाने वाला मतदाता ब्राह्मण, मुस्लिम, थारू और यादव है. इसके साथ ही एससी वोटर भी तस्वीर को पलट सकते हैं. यहां पर कहा जाता है कि जो थारू, यादव, मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं को साध ले वह विजय श्री का हार पहन लेता है. इस विधानसभा सीट पर हिन्दू मतदाताओं की आबादी 62.5% है. वहीं, यहां पर मुस्लिम 37 फीसदी हैं. यहां पर ईसाई 0.1% व अन्य 0.4% हैं.

जातिगत आधार पर मतदाता

सामान्य वर्ग
ब्राह्मण-9%
क्षत्रिय-10%
कायस्थ-0.5%
अन्य-2.5%

ओबीसी वर्ग
यादव-07%
वर्मा-5%
तेली-3%
अन्य :- 5%

एससी वर्ग
चमार-6%
कोरी-3%
पासी-4%
अन्य-3%

एसटी वर्ग
थारू- 4.5%

आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार :-

भाजपा से इस क्षेत्र के मौजूदा विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू छात्र राजनीति का सफर तय करके इस मुकाम तक पहुंचे हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे शैलू सिंह की पकड़ भाजपा के काडर वोटरों के साथ-साथ ठाकुर व दलित बिरादरी पर भी है. उन्होंने इस क्षेत्र की बेहतरी के तमाम काम किए हैं, जो वह हर मंच से बोलते नजर आते हैं.

बसपा नेता अल्लाउद्दीन खां एक बार इसी गैंसड़ी सीट से विधायक रह चुके हैं. अल्लाउदीन खान ने अपनी राजनीति की शुरूआत से बसपा में रहकर राजनीति की. अल्पसंख्यक समुदाय में खासा रसूख रखने के साथ साथ पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जातियों के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं.

डॉ शिव प्रताप यादव (डॉ0 एसपी यादव) 3 बार गैंसड़ी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. एक बार दर्जा प्राप्त मंत्री तो एक बार प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के जूनियर मंत्री रहे हैं. यादव, कुर्मी बिरादरी व अल्पसंख्यक समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं. पिछली बार के विधानसभा चुनाव में ये तीसरे नम्बर पर थे.

पिछले विधानसभा चुनावों में डॉ अनुराग यादव निर्दल लड़ चुके हैं. सपा, भाजपा के बाद अब वह एक बार फिर सपा में हैं. एनजीओ व अन्य सरकारी कामों से अच्छा पैसा बनाया है. स्थानीय लोगों की मदद करते रहते हैं. इस कारण से आम जनमानस में उनकी अपनी अच्छी पैठ है.

कांग्रेस से डॉ इस्तियाक अहमद पेशे से जनरल फिजिशियन हैं. एमबीबीएस और एमडी की डिग्री है. इसके साथ ही काफी समय से समाज सेवक के तौर पर जनता से जुड़े हुए हैं. कांग्रेस के प्रदेश कमेटी के सदस्य हैं और मुस्लिम समुदाय में उनके अपने चाहने वाले हैं. हालांकि, अभी तक इन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है.

प्रमुख समस्या

गैंसड़ी विधानसभा क्षेत्र में जनजातीय और प्राकृतिक पर्यटन की अपार संभावना है. यहां पर बड़े-बड़े बांध और सरोवर हैं जो ठंड के मौसम में विदेशी पक्षियों से गुलजार रहते हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी ने इस क्षेत्र को बेहद गरीब और लाचार बना रखा है. यहां का सुहेलदेव वन्य जीव अभयारण्य अपनी अलौकिक छटा के जाना जाता है. शिवालिक पर्वत शृंखला अपने आपमें सबसे अनोखी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, लेकिन यहां पर पर्यटन के विकास के नाम पर कोई काम आज तक कोई काम नहीं किया जा सका है. अगर पर्यटन का विकास हो तो कमाई के लिए यहां से बाहर जाने वाले युवाओं का पलायन रुक सकता है.

भाजपा की सरकार में पचपेड़वा में एक मिनी स्पोर्ट्स स्टेडियम और एक जनजातीय संग्रहालय को बनवाया जा रहा है, लेकिन अभी उसे बनने में समय लगेगा. इसके साथ ही वह इतना दूर है कि वहां पर विकास के नए आयाम को लिख पाना सामान्य बात नहीं होगी.

वहीं, क्षेत्र में सालों से बंद पड़े दो महाविद्यालय अपनी किस्मत का रोना रो रहे हैं. यहां पर एक महिला महाविद्यालय और एक राजकीय महाविद्यालय स्थित है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति न होने के कारण यह सालों से बंद पड़ा हुआ है. जिसके कारण यहां के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए बलरामपुर और व्यवसायिक शिक्षा के लिए लखनऊ जैसे शहरों का रुख करना पड़ता है.

यह विधानसभा सड़क मार्ग के मामले में भी बेहद खस्ताहाल है. यहां पर तमाम ग्रामीण सड़कें व अन्य जिला मार्ग आज भी बदहाल स्थिति में है. चंदनपुर पचपेड़वा मार्ग, पचपेड़वा उतरौला मार्ग व नेपाल की सरहद को जोड़ने वाले अन्य कई मार्ग खस्ताहाल हैं, जिसके कारण आवागमन और स्वास्थ्य सुविधाएं बाधित होती हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के कई थारु गांवों में आज तक जाने का कोई रास्ता नहीं है. ना ही सरकार यहां पर लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सफलता हासिल कर पाई है.

अगर, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा की बात करें तो पचपेड़वा और गैसड़ी बाजार की आबादी तकरीबन दो लाख है, लेकिन दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए ही यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं को देने का काम किया जा रहा है. जबकि 6.50 लाख से अधिक आबादी को स्वस्थ रखने में ये अस्पताल खुद बीमार पड़ रहे हैं. क्षेत्र में अगर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनवाया जाए तो कहीं ना कहीं जनता को राहत मिल सकती है.

इसके साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी आम जनता के लिए बड़ी समस्या है. यहां से निकलने वाले पहाड़ी नालों व नेपाल की तराई में बसे भांभर रेंज जंगल का दोहन आम है. वन और लकड़ी माफिया लगातार जंगलों की कटाई कर रहे हैं, जिससे जंगलों का क्षेत्रफल सिकुड़ रहा है. वहीं नालों से निकलने वाले बालू का अवैध खनन क्षेत्र में खूब किया जाता है, जिससे सरकार को राजस्व के भारी नुकसान के साथ-साथ आम जनमानस को बाढ़ जैसी समस्याओं को झेलना पड़ता है.

राप्ती की तराई के इलाकों में बाढ़ और पेयजल की समस्या भी आजादी के सालों से ही बनी हुई है. हर घर नल योजना के जरिए पाइप लाइन से पानी पहुंचाने की योजना कागजों में चल रही है, लेकिन जमीन पर यह अभी तक नहीं उतर सकी है. खराब पेयजल के कारण तमाम लोगों में बीमारी फैल रही है, जिसके इलाज में अच्छा खासा पैसा लोगों को खर्च करना पड़ रहा है.

आगामी विधानसभा चुनाव का गुणा गणित

आगामी विधानसभा में यहां की जनता भारतीय जनता पार्टी के 5 साल के कार्यों पर आकलन करने के साथ-साथ उन तमाम मुद्दों पर वोट देने की कोशिश करेगी, जिसके जरिए उसके जीवन शैली में साकारात्मक परिवर्तन हुआ है या होने की संभावना है. यहां की जनता जातीय फैक्टर के साथ-साथ विकास के आयामों पर वोट कर सकती है. गैसड़ी विधानसभा से जहां भाजपा के टिकट पर एक बार फिर शैलेश कुमार सिंह शैलू ताल ठोक सकते हैं. वहीं यादव और मुस्लिम वोटरों पर अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले डॉ शिवप्रताप यादव भी सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर अलाउद्दीन खान पर दांव खेल सकती है क्योंकि वह पिछली बार के चुनाव में 2300 वोटों से शैलू सिंह से हार गए थे. आने वाला विधानसभा चुनाव किसे विधायक बनाकर सदन में ले जाएगा इसका फैसला तो जनता करेगी, लेकिन जनता जनप्रतिनिधियों से विकास और उनके वायदों का हिसाब-किताब जरूर ले रही है.

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