बलरामपुर: ज्ञान, किसी से, कहीं से भी पाया जा सकता है. इस कथन को चरितार्थ करते हुए, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने' सच साबित कर दिखाया है. शिक्षा में नवाचार कार्यक्रम के जरिए प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों को कठपुतलियों यानी पपेट के माध्यम से सीखने-समझाने की कवायद शुरू की गई है.
कठपुतलियों के माध्यम से बच्चों को दी जा रही शिक्षा. शिक्षकों को हैदराबाद में दी गई थी ट्रेनिंग
पपेट के माध्यम से पढ़ाई के लिए हैदराबाद में बाकायदा देश भर के सैंकड़ों शिक्षकों की ट्रेनिंग भी करवाई गई है. वहीं, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर से दो शिक्षक, बलरामपुर से दो शिक्षक और एटा से एक शिक्षक को ट्रेनिंग करवाई गई है. शिक्षक अब बच्चों को कविताएं, अंग्रेजी, हिंदी और गणित के पाठों को पपेट के जरिए पढ़ा रहे हैं. इसमें बच्चों को काफी अच्छा भी लग रहा है. और बच्चे जल्दी अपना पाठ भी याद कर ले रहे हैं.
आसानी से कठिन पाठ को सिख रहे बच्चे
बच्चे सरल चरित्रों के जरिए तेजी से अपना कठिन पाठ सीख रहे हैं. बच्चों से विभिन्न चरित्रों को बनाने और उनसे सीखने की समझने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. प्राथमिक विद्यालय धुसाह में पपेट के जरिए हो रही पढ़ाई न केवल बच्चों को बेहद रुचिकर लग रही है, बल्कि खेल-खेल में विभिन्न तरह की कठपुतलियां बनाकर और उनके चरित्रों को समझने का नया उत्साह बच्चों में देखा जा रहा है.
कठपुतलियों के माध्यम से प्रदर्शन करना सीख रहे बच्चे
अध्यापक देवेश मिश्रा विद्यालय में बच्चों को पाठ के आधार पर, विभिन्न चरित्रों की कठपुतलियां बनाकर खेल-खेल में शिक्षा हासिल करने का अवसर दे रहे हैं. उन्होंने कक्षा 4 और 5 के छात्र-छात्राओं को बैलून, कपड़ा, कागज आदि से पाठ आधारित चरित्रों की कठपुतलियां बनाकर प्रदर्शन करना सिखाया है.
15 दिनों के अंदर ही बच्चे दिए प्रतिक्रिया
शिक्षक का कहना है, कि इस कवायद को शुरू किए 15 दिन भी नहीं हुए, कि बच्चों के हाथ कठपुतलियों पर अच्छे ढंग से चलने लगे. बच्चे बताते हैं कि कठपुतलियों के जरिए तमाम तरह के पाठ अब वो आसानी से सीख लेते हैं. बच्चों से कठपुतलियों के जरिए न केवल पपेट शो कराया जाता हैं, बल्कि आवाज बदलकर उनसे तमाम पाठ पढ़ाने और सिखाने का प्रयास कराया जाता है. धीरे-धीरे बलरामपुर जिले के सभी स्कूलों में कठपुतलियों के जरिए बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की जाएगी.
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