बलरामपुर:जिले के तहत 4 नगरीय निकाय आते हैं. 101 न्याय पंचायत और 801 ग्राम सभाएं हैं. जिले में पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित मामलों को देखने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पर्यावरणीय समिति भी गठित की गई है. इस समिति का हर माह के पहले सप्ताह में बैठक भी होती है, लेकिन लोगों को प्रदूषण की समस्याओं से निजात नहीं मिल पा रही है.
कृषि प्रधान जिला होने के कारण बलरामपुर में तकरीबन 2,10,000 किसान पंजीकृत हैं. यहां मुख्य तौर पर धान, गेहूं और गन्ने की खेती की जाती है, जिससे न केवल बड़े पैमाने पर पराली उत्पन्न होती है बल्कि इस पराली को जलाने के कारण बड़े पैमाने पर प्रदूषण भी उत्पन्न होता है, जो हवा में घुलकर लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है, लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है.
पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग लगातार काम करने का दावा तो कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल ही अलग है. बलरामपुर जिले के सभी इलाकों में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाएं होती है, लेकिन अधिकारियों द्वारा इस वर्ष महज चार घटनाएं ही रजिस्टर की गई हैं.
कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने पर किसानों पर बाकायदा जुर्माने का भी प्रावधान है. जिसमें 0 से 2 एकड़ तक 2000 रुपये, 3 से 5 एकड़ तक 5000 रुपये और इससे ऊपर 15000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. लेकिन अधिकारियों द्वारा जब मामलों को रिपोर्ट ही नहीं किया जाता तो जुर्माना किस पर लगाया जाएगा.