बलरामपुरःजिले के पनवापुर गांव के रहने वाले रईस अहमद पिछले 10 वर्ष से अहमदाबाद में रहकर मजदूरी किया करते थे. लॉकडाउन शुरू होने से करीब दो हफ्ते पहले मां इशरतजहां को इलाज के लिए अहमदाबाद बुला लिया था. उनके साथ अहमद की 3 वर्षीय भतीजी सौम्या भी इशरत के साथ जिद्द करके अहमदाबाद चली आई. परिजन बताते हैं कि सौम्या जब उनके साथ कहीं जाने की जिद करती तो इशरत अक्सर सौम्या से पूछती थी कि 'क्या कब्र में भी पीछा नहीं छोड़ेगी' तो सौम्या कहती थी कि 'हां साथ ही चलूंगी'.
लॉकडाउन शुरू हुआ तो करीब 50 दिन जैसे-तैसे परिवार के कट गए, लेकिन जब बचाकर रखे गए पैसे खत्म हो गए तो अहमद के सामने परेशानियां आ खड़ी हुई. किसी तरह पैसों का जुगाड़ कर अपनी मां और 3 वर्षीय सौम्या को एक डीसीएम बुक कराकर गांव के 30 लोगों के साथ पनवापुर गांव के लिए भेज दिया. अभी डीसीएम कानपुर देहात ही पहुंची ही थी कि सड़क हादसे की शिकार हो गई. इस सड़क हादसे में इशरतजहां और सौम्या की मौत हो गई.