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बलरामपुर के इस गांव में आखिर लोग क्यों तोड़ रहे अपना ही घर - राप्ती नदी का कहर

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में इस समय बाढ़ का कहर छाया हुआ है. राप्ती नदी के बढ़ते कटान से कई गांव प्रभावित हैं. हालात इस कदर बेकाबू हो गए हैं कि लोगों को अपना आशियाना खुद ही तोड़ना पड़ रहा है. इन गांवों की हालातों को बयां करती देखिए ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट...

balrampur flood special story
बलरामपुर बाढ़ स्पेशल स्टोरी.

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Published : Aug 29, 2020, 1:59 PM IST

बलरामपुर: बाढ़ के कारण बलरामपुर जिला हर साल बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है. वहीं, बाढ़ के बाद शुरू होने वाली कटान की समस्या राप्ती नदी से जुड़े क्षेत्रों के लिए मुसीबत पैदा करती है. जिले में इस वक्त तकरीबन 35 जगहों पर राप्ती कटान कर रही है, जिससे काफी धन हानि हो रही है.

नदी के कटान की जद में आया स्कूल.

ईटीवी भारत ने ऐसे ही कटान क्षेत्र का दौरा किया, जहां पर अब तक तकरीबन 45 घर और 100 हेक्टेयर से ज्यादा खेत राप्ती नदी में समाहित हो चुके हैं. बलरामपुर के सदर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा कल्याणपुर में राप्ती नदी चारों तरफ से कहर बरपा रही है. कल्याणपुर गांव इस समय टापू बना हुआ है. यहां पर जाने के लिए केवल एक रास्ता है. वह भी पैदल और नाव के जरिए.

स्पेशल रिपोर्ट...

तेजी से घरों को जद में ले रही नदी
अपनी समस्याओं के बारे में बात करते हुए कल्याणपुर के ग्रामीण कहते हैं कि यहां पर तकरीबन तीन महीने से राप्ती नदी कटान कर रही है. राप्ती नदी के कटान के कारण इस गांव में इतनी भीषण समस्या पैदा हो गई है कि हम लोगों के खेत और घर लगातार नदी के जद में आ रहे हैं. कल्याणपुर प्राथमिक विद्यालय का आधा भवन नदी में समाहित हो चुका है.

पलायन करने को मजबूर हुए ग्रामीण
अपना घर तोड़ रहे ग्रामीणों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि नदी लगातार कटान कर रही है. पिछले चार-पांच दिनों में कटान इतनी तेज हो गई है कि वह अब हमारे घरों को अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है. हम लोग अपने घरों को खुद तोड़ रहे हैं, जिससे जो बचा है, उसे बचाया जा सके. घरों में लगे ईंट-पत्थर व अन्य मैटेरियल यहां से किसी दूसरे जगह पर पहुंचा रहे हैं, ताकि हम वहां पर टेंट वगैरह बनाकर रह सकें.

कटान से कई गांव प्रभावित.

सरकार से नहीं मिल रही पर्याप्त मदद
ग्रामीणों ने बताया कि जो भी मदद सरकार द्वारा की जा रही है, वह पूरी तरह से हमारी आजीविका को चलाने के लिए अपर्याप्त है. इसके साथ ही कटान रोकने के लिए जो काम किया जा रहा है, वह भी प्रॉपर रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. कटान को रोकने के सभी प्रयास केवल एक सरकारी स्कूल को बचाने के लिए किए जा रहे थे, जिसका आधा भवन नदी की कटान में कट चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि सरकार द्वारा जो मदद की जा रही है, वह पूरी तरह अपर्याप्त है.

बाढ़ की लगातार की जा रही मॉनिटरिंग
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि नदी अभी चेतावनी बिंदु से नीचे बह रही है, लेकिन तमाम जगहों से कटान की शिकायतें आ रही हैं. इसके लिए डेली बेसिस पर लेखपालों व अन्य अधिकारियों द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है. वे आगे बताते हैं कि बाढ़ के बाद शुरू हुई कटान की समस्या से निपटने के लिए लगातार नायब तहसीलदार, तहसीलदार और उपजिलाधिकारी फील्ड में जाकर मौका मुआयना कर रहे हैं. उनकी रिपोर्ट के बाद बाढ़ खंड के अधिकारियों को स्थिति को काबू में लाने के लिए लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग मेरे द्वारा भी की जा रही है. हम लोग जियो टैग का सहारा लेते हुए कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

तेजी से हो रहा कटान.

राहत कार्य में तेजी
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि परसोंना, गनवरिया और कल्याणपुर जैसे 7 जगहों पर कटान से बचाव का काम चल रहा है. लगातार कोशिश की जा रही है कि काम करवा कर कटान की स्थिति को काबू में लाया जा सके, जिससे कटान आबादी के क्षेत्र में ना जा सके. इसके अतिरिक्त जहां से भी कटान की सूचना आ रही है, वहां के लोगों के लिए राहत कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है.

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