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बलरामपुर: गुजर चुके हैं 40 मानसून, अभी तक नहर में नहीं आया पानी

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के किसान पिछले 40 सालों से अपने खेतों में नहर के पानी की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन उनके खेतों में नहर का पानी आज तक नहीं पहुंचा. जिला कृषि विभाग के अनुसार जिले भर में ढाई लाख रजिस्टर्ड किसान हैं. इनका पूरा डाटा कृषि विभाग, सिंचाई विभाग, नहर नलकूप विभाग के पास होता है, फिर भी वह डाटा किसानों के किसी काम का नहीं है.

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Published : Jul 5, 2019, 11:12 AM IST

बलरामपुर के किसान

बलरामपुर: जिले के तकरीबन 50% किसानों के पास सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. किसान या तो बरसात के पानी पर निर्भर होते हैं या उन्हें सिंचाई के लिए खुद की कोई व्यवस्था करनी पड़ती है. ऐसा नहीं है कि सरकारी तंत्र ने कोई प्रयास नहीं किए.

40 साल पहले शुरू हुई थी सरयू नहर परियोजना की शुरुआत.
  • इंदिरा गांधी सरकार में तकरीबन 40 साल पहले सरयू नहर परियोजना की शुरुआत की गई थी.
  • तकरीबन एक दर्जन बार इस परियोजना को शुरू और बंद किया गया.
  • साल 2012 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने सरयू नहर परियोजना को राष्ट्रीय नहर परियोजना का दर्जा दिया.
  • इसके बाद इस नहर का 90% खर्च केंद्र सरकार उठा रही है जबकि 10% खर्च राज्य सरकार उठा रही है.
  • फिर भी इस काम में बहुत तेजी से प्रगति नहीं आ सकी.
  • नहरों में पानी ना होने से जिले के तकरीबन डेढ़ लाख हेक्टेयर खेत प्रभावित हैं.
  • किसान केवल एक ही फसल अपने खेतों से ले पाते हैं.

सादुल्लाह नगर के सराय खास के रहने वाले किसान विजयपाल वर्मा बताते हैं कि उनके पास 2 एकड़ खेत है. सिंचाई की पुख्ता व्यवस्था ना होने के कारण और नहरों में पानी ना आने के कारण वह अपनी खेती से बहुत ज्यादा लाभ नहीं कमा पाते हैं. सिंचाई के लिए उन्होंने पंपिंग सेट लगवा रखा है.

इसी गांव के शमीम अहमद बताते हैं कि हमारे पास तकरीबन 4 एकड़ खेत है. वह भी नहर से सटा हुआ. लेकिन सालों से नहर में पानी नहीं आ सका है. हमने इस नहर में पानी आते अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखा. हमारी सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह से निजी नलकूपों या पंपिंग सेट पर निर्भर रहती है. इस कारण हम लोगों की लागत काफी हो जाती है, जबकि मुनाफा काफी घट जाता है.

क्या कहते हैं जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश-

  • पूरे जिले में 112 नहरें हैं, जिनमें से 53 में पानी आ रहा है.
  • बाकी नहरों की सिल्ट सफाई करवाई जा रही है.
  • इसके लिए सरकार द्वारा बहुत लिमिटेड पैसा आता है.
  • इसलिए कुछ को मनरेगा के तहत सिल्ट सफाई के लिए प्रस्ताव भेजा गया है.
  • शेष बची नहरों में भी हम जुलाई माह के अंत तक पानी भेजना शुरू कर देंगे.
  • अगर जुलाई माह के बाद किसी नहर में पानी नहीं आया तो हम संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे.

जिलाधिकारी कृष्णा कमलेश की यह बातें बिल्कुल हवा-हवाई सी लगती हैं, क्योंकि ईटीवी भारत ने तकरीबन पूरे क्षेत्र का दौरा किया हुआ है और वहां पर सिंचाई व्यवस्था बेहतर न होने के कारण किसानों की हालत अभी तक खस्ता नजर आती है. ईटीवी भारत ने सरयू नहर परियोजना पर तकरीबन आधा दर्जन खबरें की है, लेकिन यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो सकी है.

सवाल यह भी कि केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने का हवाई दावा कैसे कर सकती है? जब किसानों के पास सिंचाई के लिए संसाधन तक नहीं हैं.

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