बलरामपुर:उत्तर प्रदेश में मानसून (Monsoon in Uttar Pradesh) ने दस्तक दे दी है. बलरामपुर जिला (Balrampur District) बाढ़ (Flood) और कटान के लिहाज से अति संवेदनशील जिलों की श्रेणी में शामिल है. यहां हर साल बड़े पैमाने पर लोग बाढ़ और कटान की समस्या से दो चार होते हैं. गांवों में पानी का घुसना और धन-जन हानि करना जिले के बाशिंदों के लिए आम बात है. इन्हीं समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन बाढ़ और कटान रोधी कार्य करवाता है, लेकिन जिले के गठन के 23 वर्षों बाद भी कटान और बाढ़ की समस्या जस की तस बनी हुई है. ऊपर से राप्ती और पहाड़ी नालों का कहर लोगों को रात में जागने के लिए मजबूर करता है.
ग्रामीण क्यों उठाते हैं सवाल
बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जिला प्रशासन और बलरामपुर बाढ़ खंड द्वारा बाढ़ रोधी काम कराए जा रहे हैं, लेकिन अब इन कार्यों पर ग्रामीणों ने सवाल खड़े कर दिए हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ रोधी कार्यों को जितनी तय दूरी तक कराया जाना था, उससे कम दूरी पर ही काम को कराकर बाढ़ खंड के अधिकारी काम को पूरा बताने में जुटे हुए हैं, जबकि आधे अधूरे काम के चलते गांव में बाढ़ का आना तय है और यदि ऐसा हुआ तो भारी नुकसान की संभावना भी जताई जा रही है.
कहां का है मामला
मामला विकासखंड गैंडास बुजुर्ग (Gaindas Bujurg) क्षेत्र के परसौना गांव से जुड़ा हुआ है. यहां गांव के बगल ही राप्ती नदी (Rapti River) बहती है, जिसमें पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से पहाड़ी नालों का पानी भी बहता है. इससे राप्ती नदी का बहाव काफी तेज रहता है और लगातार नदी कटान करते हुए आगे बढ़ती है.
इसे भी पढ़ें:बलरामपुर में ग्रामीण बोले- बह जाएगा गांव, मंत्री जी बोले- ऑल इज वेल...
काफी प्रयास के बाद हो रहा है काम ग्रामीणों के लाख प्रयास के बाद राप्ती नदी के तटबंध पर बाढ़ रोधी कार्य जाने की मंजूरी शासन द्वारा दी गई. इसके बाद ग्राम परसौना में कार्य कराया जा रहा है. दरअसल, गांव के करीब ही एक अस्पताल, प्राचीन मंदिर व स्कूल बचाने की कवायद में इस कार्य को तेजी से कराया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें:बलरामपुर: बाढ़ ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें, लोगों ने लगाया प्रशासन पर आरोप
क्या है ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि मानसून जब करीब है तो अधिकारी आधे अधूरे काम को ही पूरा बताने में जुटे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि करीब 300 से 350 मीटर का कार्य होना था, लेकिन अधिकारियों ने नदी की मुख्यधारा से टकराने वाले स्थान को यूं ही छोड़ दिया है. वहां काम ही नहीं कराया है. अधिकारियों ने नदी के कटान के दक्षिण तरफ से 200 मीटर और उत्तर तरफ से 200 मीटर का भाग छोड़कर बीच में बाढ़ रोधी कार्य कराया है. उसमें भी अधिकारियों ने मनमानी दिखाते हुए मिट्टी और बालू से भरी कम बोरिया डाली हैं. साथ ही जियो ट्यूब का भी सीमित उपयोग किया गया है, जिससे बरसात के बाद आने वाली बाढ़ को ये संसाधन रोकने में अक्षम साबित होंगे और गांव में बाढ़ आना तय है. ऐसे में न सिर्फ संपत्ति की बल्कि जनहानि की भी आशंका जताई जा रही है.
इसे भी पढ़ें:बलरामपुर के इस गांव में आखिर लोग क्यों तोड़ रहे अपना ही घर
क्या बोले बाढ़ खण्ड के अधिकारी
सहायक अभियंता आशीर्वाद अंचल ने बताया कि ग्रामीणों का जो भी आरोप हो, हमने काम बेहतर कराया है और पूरे काम का 85% भाग पूरा कर दिया है. महज 15% ही कार्य अधूरा है, जो आगामी 15 जून से पहले हम करा देंगे. बाढ़ रोधी कार्य के बाद बाढ़ न आने के सवाल पर एसडीओ ने बताया कि यह प्राकृतिक चीजें हैं. हम इसकी गारंटी नहीं ले सकते कि इस कार्य के बाद गांव में बाढ़ नहीं आएगी.