बलरामपुर: गर्भवती या गर्भ में पल रहे बच्चे को कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों का पुख्ता प्रमाण अब तक नहीं मिला हैं. इस कारण उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. फिर भी ऐसी महिलाओं को सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए.
इस संक्रमण काल में हर गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रसव पूर्व जांच और सुरक्षित प्रसव की सारी सेवाएं मुहैया करवा रहा है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को इस बारे में जागरूक करने के लिए पम्फलेट-पोस्टर और प्रचार-प्रसार के अन्य साधनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. गर्भवती महिलाओं को बाहर निकलने से बचना चाहिए.
इस दौरान रखें अपना खयाल
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि गर्भवती महिलाएं मास्क का उपयोग जरूर करें. आपस में बातचीत करते समय कम से कम एक मीटर की दूरी रखें. घर के अन्य सदस्यों से अलग एक कमरे में रहें. हर चार से छह घंटे में साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोएं. खासकर खाना बनाने और खाना खाने से पहले. खांसते या छींकते समय रूमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें. टिश्यू को कूड़ेदान में ही फेंकें और रूमाल को अच्छी तरह धुलकर ही दोबारा इस्तेमाल करें. पौष्टिक आहार और अच्छी नींद लें. तनाव मुक्त रहें.
क्या न करें गर्भवती महिलाएं
किसी भी भीड़ वाले स्थान पर जाने से बचें. बार-बार चेहरा, नाक और आंख न छुएं. खुद को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाए रखने का प्रयास करें. कोरोना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग-1800-180-5145, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय 91 11-23978046 या टोल फ्री नम्बर 1075 पर संपर्क करें.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया इस महामारी काल में प्रसव को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए गर्भवती महिलाएं अपने आशा कार्यकर्ता और एएनएम के संपर्क में रहें. उनके द्वारा दी जाने वालीं आयरन फोलिक एसिड की 180 और कैल्शियम की 360 गोलियों का सेवन जरूर करें. ये रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है.
समस्या होने पर करवाएं जांच
उन्होंने कहा कि यदि गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव हो रहा है. खून की कमी यानि कमजोरी या थकान महसूस हो रही है या बुखार आने लगा है. इसके अलावा अगर पेडू में दर्द या योनि से बदबूदार पानी आ रहा है. उच्च रक्तचाप यानि अत्यधिक सिर दर्द, झटके आना या दौरे पड़ना और गर्भ में पल रहे शिशु का कम घूमना जैसे खतरे के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला महिला अस्पताल या संयुक्त जिला चिकित्सालय जाकर जांच करवाएं. डॉ. सिंह ने बताया कि इसके अलावा गर्भावस्था के छह महीने पूरे होने या उसके बाद रक्त जांच, अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच भी करवाएं.